सूरत से पूज्य साँईं जी  द्वारा लिखित गीता जयंती निमित्त शुभ सन्देश (२/१२/२०१४) का पुनः स्मरण… 

आज मोक्षदा एकादशी है और श्रीमद् भगवद्गीता जयंती । तो आज के दिन बड़ा विलक्षण संयोग है पूरे विश्व में आज तक किसी पुस्तक या ग्रन्थ की जयंती मनाई जाती हो तो श्रीमद् भगवद्गीता है । यह जगतगुरु श्रीकृष्ण की अनुभव की पोथी है, उनका गीत हैं, उनकी डायरी हैं, उनका ह्रदय है । आज से २६५ दिन पहले इसे संयोग ही कहो महाभारत की युद्धस्थली, धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र से मेरी गिरफ्तारी हुई थी । आज गीता चिंतन का विशेष दिवस हैं । वैसे तो हमें संपूर्ण जीवन ही गीतामय बनाना चाहिए । गीता का ज्ञान – भक्ति – योग अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करना चाहिए फिर भी आज विशेष गीता का चिंतन व ध्यान गीता जयंती के निमित्त विशेष रूप से हो रहा है स्वाभाविक रूप से । आज सुबह के १०:३० बज रहे है सूरत स्थित लाजपोर मध्यस्थ जेल के सी-११, बी -१ बेरेक में दीवार घड़ी के १० बजकर ३५ मिनट हो रहे है और मैं आसन, ध्यान के स्थान पर योगासन आदि कर रहा हूँ और सहज चिंतन करते हुए यह लिखवा रहा हूँ । कुछ दिन पहले सूचना आई थी कि आपकी गिरफ्तारी होने को एक वर्ष ३ दिसम्बर को पूर्ण हो रहा है जिसे हम लोग ब्लेक डे काला दिवस के रूप में मनाये । जगह- जगह इसको शोक सभा इस तरह मनाया जाए लेकिन मैं मानता हूँ इसको काला दिवस नहीं लेकिन एकांत दिवस के रूप में या समता दिवस के रूप में मनाना ज्यादा उपयुक्त होगा । मैं वादा करता हूँ मेरे प्रति आदरभाव, श्रध्दाभाव रखने वाले तमाम मेरी गिरफ्तारी दिवस कहो या कुरुक्षेत्र से मेरी गिरफ्तारी के उपलक्ष्य में कहो या इस गीता जयंती के उपलक्ष्य में कहो जैसा कि आज के दिवस को समता दिवस के रूप में मनाना ज्यादा उपयुक्त होगा । गीता कहती है –
“समत्वं योग उच्यते ”
पिछले एक वर्ष से बहुत सारी घटनायें घटी, जो मेरे पूरे जीवनभर में कभी नहीं घटी थी । २०-२५ दिन तो पुलिस कस्टडी, सूरत चौक बाजार, सूरत क्राइम ब्रान्च में उसके बाद सदैव जेल में हार्डको में कोठड़ी में रखा गया । लगभग उसमें भी काफी दिन मैंने बिताये फिर सूरत से लुधियाना तक पुलिस कस्टडी में लम्बी बस में जाना – आना तो हार्डको कस्टडी आदि सब करते हुए और इस कारावास में भी एक वर्ष पूरा होने जा रहा है उससे ईश्वर ने जो विपरीत परिस्थितियाँ भेजी । मैं उसकी कृपा की समीक्षा कर रहा हूँ और उस परीक्षा में मुझे लग रहा है कि मैं उत्तीर्ण हो रहा हूँ यह आनंद की बात है हमारे जीवन में आने वाले कष्टों में मैं कितना स्थिर रह पाया और वे विपरीत परिस्थितियाँ मेरे ऊपर कितनी बेअसर हुई इस दिन को मैं आत्मनिरीक्षण कर रहा हूँ और आनंदित हो रहा हूँ कि तमाम घटनाओं से होने के बावजूद मेरे चित्त की समता और शांति को मैं यथावत् रख पाया । दूसरी बात की समाचार – पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ । कल के अखबार १-१२-२०१४ सन्देश समाचार – पत्र के पेज नंबर – २ पर यह खबर छपी हैं । इरानी पारसियन लड़की जिसका नाम है घवामी धोनचेह और जो ब्रिटेन में पली – बड़ी और उसके माता – पिता इरान से आये हुए थे और उसके पास इरान और ब्रिटेन दोनों देशो की नागरिकता है और इरान के बारे में बहुत कुछ उसने सुना था उसके पिताजी बार – बार इरान की बात करते थे इरान देश को याद करते थे । घवामी धोनचेह पारसियन उस लड़की ने सोचा कि मैं अपनी ब्रिटेन में पढ़ाई पूरी करके स्वदेश में वापस लौटू । लन्दन यूनिवर्सिटी में क़ानून पढ़ाई पूरी करने के बाद वो इरान गई और पुराने रिश्तेदारों को नजदीकी अपने सबको मिली और फिर वहाँ वोलीबोल मैच इरान में लड़कियों के लिए प्रतिबन्धित है लेकिन वो गई और इस अपराध की वजह से उसको एक वर्ष का कारावास दिया गया जो वहाँ के कारावास में है उसकी हिम्मत और दृढ़ता प्रशंशनीय है । उसके प्रयास को मेरा समर्थन है । महिला अधिकारों के लिए उसकी लड़ाई आज नहीं तो कल अवश्य सफल होगी ऐसी हम उम्मीद करते है । दुसरो के सुख के लिए, दुसरो के अधिकारों के लिए जो स्वयं कष्ट और दुःख स्वीकार करते है ऐसे लोग दुनिया में बहुत कम होते है । जल्दी वो अपने प्रयास में सफल हो । उसके तमाम समर्थकों को मेरा भी समर्थन है और वहाँ के कुछ नियमों में बदलाव आये और स्वतंत्रता और नारी अधिकारों के लिए जो लड़ाई वो लड़ रही है उसमें वह विजयी हो ऐसी मैं शुभकामना करता हूँ । आज गीता जयंती के अवसर पर श्रीमद् भगवद्गीता ग्रंथ उसे भेंटस्वरुप भिजवा सके तो बहुत अच्छा होगा । अपना मैं भिजवा रहा हूँ अपना हौसला बुलंद रखे । उसके समर्थकों को भी मैं धन्यवाद देता हूँ । जहाँ – जहाँ वीरता, पराक्रम, उत्साह हैं, शौर्य हैं, पुरुषार्थ हैं, विलक्षणता है, दृढ़ता है । वहाँ – वहाँ श्रीकृष्ण का वैभव हैं, उनका अस्तित्व हैं, उनकी विभूति वहाँ – वहाँ प्रत्यक्ष हैं । विश्वभर में वे तमाम लोग, वे तमाम स्थान, जो कुछ हटके है, विशेष है उनको देखकर मुझे ईश्वरीय वैभव के दर्शन होते हैं । मैं गीता के विचारों को जहाँ तक समझा हूँ उस आधार पर मैं ये दावे के साथ कह सकता हूँ इन विचारों को किसी धर्मं, मत, पंथ, संप्रदाय, मजहब आदि में कैद नहीं किया जा सकता । गीता के विचार आकाश की नाई विशाल हैं और समुद्र से भी अधिक शायद गहरे हैं । जो भी इन विचारों को आत्मसात करेगा वो संकीर्णता अथवा कूपमंडूकता से निश्चित रूप से बाहर निकलेगा ऐसा मेरा स्पष्ट मंतव्य हैं । आज पुण्य भूमि भारत देश गीता गोविन्द प्रेमियों द्वारा और विदेशों में भी जहाँ कही भी किसी व्यक्ति – व्यक्तियों, संगठनो – संस्थानों द्वारा गीता जयंती के निमित्त व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से जो भी कुछ प्रयास किया जा रहा है उसका अनुमोदन करने हेतु सभी को आज मोक्षदा एकादशी दिवस पर गीता जयंती को मैं हार्दिक सप्रेम शुभकामनायें देते हुए आनंदित हो रहा हूँ । मेरा आग्रह है कि सभी गीता – प्रेमियों को विश्वभर में आतंकवाद हिंसा के विषय में सोचना चाहिए । जहाँ तक हो सके हिंसा को अहिंसा को टाले । प्रेमवाद के जरिये आप आतंकवाद को अंकुश में ले । आतंकवादी इंटरनेट को बहुत बड़े हथियार के रूप में उपयोग कर रहे है और अपनी कट्टरवादी विचारधारा को इंटरनेट के जरिये विश्व में फैला रहे है जिसका उदाहरण हाल ही में महाराष्ट्र के कल्याण से गए चार लड़के, जिनमें से एक वापस आया उनकी स्टोरी साथ में संलग्न कर रहा हूँ । जिसकी पूरी विस्तार से उल्लेख किया गया हैं । हम गीता के विचारों को, सिद्धांतो को, शान्ति, प्रेम, ज्ञान की विचारधारा को इन्टरनेट के जरिये पूरे देश – दुनिया में क्या नहीं फैला सकते ? क्या मानवतावाद प्रेमवाद के जरिये बेहतर विश्व बनाने में ? कम से कम भगवद्गीता को साथ रखने का प्रयास करे । मुझे यह विश्वास है कि विश्व की अनेक छोटी बड़ी मतलब सभी समस्याओं का हल निकाला जा सकता हैं । यही प्रयास करने का संकल्प करना वास्तविक भगवद्गीता जयंती मनाना होगा ।
जय गीता ! जय गोविन्द !
पुण्यमयी मोक्षदा एकादशी पर सभी को मेरा प्रेम से
जय श्रीकृष्ण ! शुभ गीता जयंती !
ॐ शांति ! ॐ शांति !

Leave comments

Your email is safe with us.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.