World Hearing Day…
ध्वनि उपचार (Sound Healing):
एक चमत्कारिक रोग निवारण पदत्ति !
वेदों, उपनिषदों और प्राचीन शास्त्रों में वाणी, शब्द और ध्वनि की अपार महिमा को दर्शाया गया है । ऋग्वेद में कहा गया है “यावद् ब्रह्म विशिष्ठतं तावती वाक्” अर्थात जितना विशाल और सर्वव्यापी ब्रह्म है, उतनी ही विशाल और सर्वव्यापी शक्ति ध्वनि की है । ध्वनि को नादब्रह्म भी कहा जाता है । संपूर्ण ब्रह्मांड ध्वनि के कंपन (vibrations) से बना है निर्जीव -सजीव सभी रूपों का निर्माण ध्वनि कंपन द्वारा होता है । हमारा शरीर भी ध्वनि की प्रतिक्रिया है, मानव एक जैव ढोलक (bio oscillator) है। विविध ध्वनियाँ हर तरफ से हमें लगातार स्पर्श कर रहीं हैं । हम सभी ध्वनि के महासागर में रहते हैं और उनसे प्रभावित होते हैं इनमें से कुछ ध्वनियां लाभदाई होती है तो कुछ हानिकारक । यह देखना क्रांतिकारी है कि अगर हम बस समय दें तो प्रत्येक ध्वनि हमारे साथ जुड़ सकती है ।
प्राचीन काल के मंत्र दृष्टा ऋषि-मुनि ध्वनि और स्वास्थ्य के बीच के संबंध को जानते थे । कौन सा राग किस रोग को ठीक करता है इसका उन्हें ज्ञान था । मानसिक तनाव, अत्यधिक क्रोध या आक्रामकता से पीड़ित होने पर मल्हार, सौरत और जयजयवंती राग बजाये जाते थे । रक्त विकारों से होने वाले रोगों के निवारण के लिए असावरी राग का प्रयोग किया जाता था । हिंडोल राग मोटापे, यकृत और प्लीहा की समस्या वाले लोगों के लिए गाया जाता था । भैरव राग का उपयोग सांस की समस्याओं, फेफड़ों के रोग, टी.बी, अस्थमा, सर्दी और खांसी के इलाज के लिए किया जाता था । अनिद्रा दूर करने के लिए राग पूरिया का गान किया जाता था, इसी प्रकार महान गायक बैजू बावरा ने चंदेरी जिले के नरवर के कच्छवाह राजा राज सिंह के यहाँ राग पूरिया गया था । इसका गान करने से उनकी अनिद्रा का रोग दूर हो गया था ।
ध्वनि की रोग उपचार शक्ति के वैज्ञानिक प्रमाण
प्रख्यात फिजियोलॉजिस्ट जूलियर एल्विन ने प्रायोगिक शोधों के बाद दर्शाया की संगीत हमारे मन, मस्तिष्क, भावनाओं और शरीर पर एक शक्तिशाली प्रभाव डालता है। इंग्लैंड में एक चिकित्सक डॉक्टर एडविना नीड और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के एक चिकित्सक एडवर्ड पोडोव्सकी ने शरीर और मस्तिष्क पर संगीत के प्रभाव पर व्यापक अध्ययन किया है और निष्कर्ष निकाला है कि संगीत की शक्ति स्नायु तंत्र में एक विशेष प्रकार की गति उत्पन्न करती है जो मानसिक, भावनात्मक एवं मनो-शारीरिक विकारों और रोगों को जड़ से दूर करने में समर्थ है । ध्वनि अंतः स्त्रावी ग्रंथियों (Endocrine glands) को भी प्रभावित करते हैं जो शारीरिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।
फिजियोलॉजिस्ट व पश्चिमी जर्मनी के शोधकर्ता, डॉक्टर डोनाल्ड द्रोहे ने यह सिद्ध करने के लिए प्रयोग किये हैं कि ध्वनि के प्रभाव से अड्रेनलिन हार्मोन के स्तर में वृद्धि या कमी को नियंत्रित किया जा सकता है। रूसी वैज्ञानिक डॉक्टर बुकानोवस्की ने महान संगीतकार चोपिन के कुछ राग बजाकर अनिद्रा के रोगियों को ठीक किया है । इससे शरीर के अंगों में दर्द भी कम हो जाता है । डॉक्टर हर्बर्ट स्पेंसर ने यह प्रयोग किया कि धीमी या तेज गति वाली ध्वनियों को सुनने से लो ब्लड प्रेशर वाले रोगियों का रक्तचाप बढ़ जाता है और धीमी या हल्की गति वाली आवाजों को सुनने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) वाले रोगियों के ब्लड प्रेशर में कमी आती है।
ध्वनि उपचार में जिन कंपनों को सबसे शक्तिशाली माना जाता है, वे हमारे भीतर से उत्पन्न होते हैं ।
डॉक्टर लुइस बर्मन ने अपनी पुस्तक ‘द ग्लैंड्ज़ रेग्युलेटिंग पर्सनैलिटी’ (The Glands Regulating Personality) में भी ध्वनि की रोग उपचार शक्ति के बारे में पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत किए हैं । ध्वनि के विज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि थायरॉयड ग्रंथि न केवल रक्त के तापमान और रक्तचाप को नियंत्रित करती है, बल्कि प्रेम और सहानुभूति को भी बढ़ाने और अन्य भावनाओं के प्रवाह और प्रभाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इसके असंतुलन से न केवल रक्त का तापमान और गति बाधित होती है बल्कि व्यक्ति के भावों में विकार आने के कारण वह मानसिक रोगों से भी ग्रसित हो जाता है । ध्वनि से थायरॉयड ग्रंथि में थायरॉक्सिन के स्राव को नियंत्रित करके व्यक्ति को ठीक किया जा सकता है ।
केंच बायोएनर्जी के फेबियन मामन और जीवविज्ञानी हेलेन ग्रीमेल ने मानव शरीर की कोशिकाओं पर 30 से 40 डिसिबल की कम मात्रा वाली ध्वनी के प्रभाव का अध्ययन किया । उन्होंने 20 मिनट की अवधि के लिए ध्वनि तरंगे देकर कई महिलाओं को गर्भाशय के कैंसर से ठीक किया है । इस तरह ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं का 1 महीने तक रोजाना 3:30 घंटे ध्वनि तरंगों से इलाज किया गया जिससे उनके कैंसर के ट्यूमर पूरी तरह से खत्म हो गए । ध्वनि चिकित्सा अनेक रोगों के उपचार में अत्यधिक प्रभावित सिद्ध हुई है।
कम लागत वाला विकल्प
एक ध्वनि उपचार सत्र एक-एक के साथ-साथ समूह उपचार सत्रों में आयोजित किया जा सकता है जो व्यक्ति को संगीत, ट्यूनिंग कांटे और ड्रम की सहायता से शांति की जगह में प्रवेश करने की अनुमति देता है। एक सत्र में स्पीकर या उपकरणों से संगीत या आवाज़ सुनते समय बैठना या लेटना शामिल हो सकता है, या एक विशेष उपकरण, जैसे ट्यूनिंग कांटा का उपयोग करके कंपन लागू किया जा सकता है। किसी को गायन, हिलने-डुलने, यहां तक कि एक संगीत वाद्ययंत्र का उपयोग करके भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, या ध्वनियों को प्रभावी होने देने के लिए स्थिर और शांत रहना चाहिए।
ध्वनि उपचार में जिन कंपनों को सबसे शक्तिशाली माना जाता है, वे हमारे भीतर से उत्पन्न होते हैं । विभिन्न विधियों में ध्वनि उपचार के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है, कभी-कभी केवल लोगों को चुपचाप सुनने और ध्वनियों में लेने के लिए, अन्य तरीकों में जिसमें एक बार जब वह एक गहरी स्थिति में होता है, तो ग्राहक को शांत करने में मदद करने के लिए एक चिकित्सक ग्राहक बातचीत होती है।
कई आध्यात्मिक आवास लोगों की मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए ध्वनि चिकित्सा का उपयोग करते हैं और कई बार उपचार बहुत भारी और वास्तविक हो सकता है। साउंड हीलिंग के परिणाम उदार साबित हुए हैं, जिससे लोग एकता की सच्ची भावना का अनुभव कर सकते हैं, शांत हो सकते हैं और साथ ही अवांछित शारीरिक दर्द या एलर्जी से छुटकारा पा सकते हैं।
यद्यपि पूरी दुनिया में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, यह अभी भी भारत में एक विकासशील प्रथा है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में। मानव शरीर के साथ प्रतिध्वनित होने वाली विभिन्न ध्वनियाँ उत्पन्न करने वाले तिब्बती कटोरे का उपयोग अब भारत में अधिक प्रचलित हो गया है। तिब्बती कटोरी ध्यान तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए एक व्यवहार्य कम लागत, कम प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप हो सकता है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट कहती है कि 56 मिलियन भारतीय अवसाद से पीड़ित हैं जबकि 38 मिलियन चिंता विकार से पीड़ित हैं। चिंता और अवसाद की इतनी अधिक दर वाले देश के लिए, साउंड हीलिंग थेरेपी कम लागत वाला अच्छा विकल्प है।
कान के रोगों के उपचार:
*अदरक का रस निकालकर दो बूँद कान में टपका देने से भी कान के दर्द एवं सूजन में लाभ मिलता है ।
* लहसुन की दो कलियों को अच्छी तरह से पीसकर इसमें एक चुटकी नमक मिलाकर वूलन कपड़े से बनायी गयी पुल्टीस को दर्दवाले हिस्से पर रखें, जल्दी ही दर्द में आराम होगा ।
*पाँच ग्राम मैथी के बीज को एक बड़े चम्मच तिल के तेल में गरम करें । फिर इसे छानकर शीशी में भर लें । अब इसे 2 बूंद दूध के साथ कान में टपका दें । कान के पीप का यह बहुत ही कारगार इलाज माना जाता है ।
* 10 मिलि तिल के तेल में 3 लहसुन की कली पीसकर इसे किसी बर्तन में गरम करें । फिर छानकर शीशी में भर लें । इसकी 4-5 बूंदें जिस कान में समस्या हो उसमें टपका दें । कान दर्द में लाभप्रद नुस्खा है ।
* जेतुन का तेल हल्का गरम करके कान में डालने से भी कान के दर्द में राहत मिलती है ।
* प्याज का रस निकाल लें, अब रुई के फाये को इस रस में डुबोकर इसे कान के उपर निचोड़ दें | इससे कान में उत्पन्न सूजन, दर्द एवं संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है ।
*तुलसी की ताजी पत्तियों का रस दो बूँद कान में टपकाने से कान के दर्द में राहत मिलती है ।