अब हर थाली का मुख्य आहार हो मोटा अनाज

श्री अन्न को दुनिया के हर व्यक्ति की थाली का मुख्य आहार बनाने का जो संकल्प भारत ने लिया, उस संकल्प की सिद्धि के आंदोलन में दुनिया के कई देश भारत के सहयात्री बन चुके हैं। एक तरह से किसानों के कल्याण और मानव के स्वास्थ्य जैसे शुचितापूर्ण उद्देश्यों के लिए शुरू हुआ श्री अन्न का आंदोलन अब वैश्विक बन चुका है।जोभारत की परंपराओं से परिचित हैं, वे यह भी जानते हैं कि हमारे यहां किसी के आगे ‘श्री’ ऐसे ही नहीं जुड़ता है। जहां श्री है वहां समृद्धि भी होती है। मिलेट्स को अब तक हम मोटे अनाज के रूप में ही जानते रहे हैं। मिलेट्स को ‘श्री अन्न’ की उपमा मिलने से इस चमत्कारिक अन्न को नए अर्थ और आयाम मिले हैं। गत 18 एवं 19 मार्च को नई दिल्ली में ‘ग्लोबल मिलेट्स कांफ्रेस’ में इस श्री अन्न को दुनियाभर के लोगों का आहार बनाने के लिए वैश्विक आंदोलन का शंखनाद हुआ है। खास बात यह रही कि इस कांफ्रेंस में गुयाना, मालदीव, मॉरीशस, श्रीलंका, सूडान, सूरीनाम और गाम्बिया जैसे उन देशों के मंत्रियों की भागीदारी रही, जहां की जलवायु मिलेट्स के लिए सर्वथा अनुकूल है।
कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्री अन्न केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं है। यह भारत में समग्र विकास का एक माध्यम बन रहा है। इसमें गांव भी जुड़ा है, गरीब भी जुड़ा है। यह देश के छोटे किसानों की समृद्धि का द्वार तो है ही, देश के करोड़ों लोगों के पोषण का कर्णधार भी है। यह कम पानी में ज्यादा फसल की पैदावार और केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार है। श्री अन्न जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में भी मददगार है। संपूर्ण विश्व की खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक हो गया था कि मिलेट्स के लिए एक वैश्विक आंदोलन खड़ा किया जाए। हम सब जानते हैं कि गेहूं और चावल के उत्पादन की प्रतिस्पर्धा ने मृदा की उर्वरता संबंधी विसंगतियां तो पैदा की ही हैं, इनके अधिक सेवन से पूरी दुनिया स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रही है।
अमरीका के ख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विलिमय डेविस की पुस्तक ‘व्हीट बैली’ और ऐसे ही कई शोधपरक प्रकाशन गेहूं-चावल के अत्यधिक सेवन से उपजी समस्याओं को लेकर लगातार आगाह करते रहे हैं। देखा जाए, तो कृषि अर्थव्यवस्था में भी चावल व गेहूं की खेती छोटे किसानों के लिए सर्वथा प्रतिकूल है। ऐसे में मोटे अनाज को दुनिया की हर थाली का मुख्य आहार बनाने का बीड़ा भारत जैसा देश ही उठा सकता है। श्री अन्न की व्यापकता के लिए भारत ने पिछले सालों में जो कदम उठाए हैं, उनका आज दुनिया अनुकरण कर रही है। किसानों को मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाने की दिशा में प्रयास बढ़े, तो बाजार में भी इसके ज्यादा से ज्यादा उपयोग पर ध्यान केन्द्रित किया गया। नतीजा यह रहा कि कुछ वर्ष पहले तक जहां मिलेट्स की घरेलू खपत प्रति व्यक्ति-प्रतिमाह 2-3 किलो थी वह आज बढ़कर 14 किलो प्रति व्यक्ति प्रतिमाह हो गई है। मिलेट्स खाद्य उत्पादों की बिक्री भी 30 फीसदी बढ़ी है। देश के 19 जिलों में मिलेट्स को ‘एक जिला एक उत्पाद’ अभियान के अंतर्गत चयनित करके वहां इसके उत्पादन और विपणन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। गुयाना तो भारत के नेतृत्व में न केवल मिलेट को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि शेष दुनिया को विशेषज्ञता भी उपलब्ध कराने में आगे आया है। इस कांफ्रेंस में बताया गया है कि गुयाना ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलेट को एक महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में मान्यता दी है। सम्मेलन में हिस्सा ले रहे मिलेट्स के प्रमुख उत्पादक देशों के मंत्रियों ने भी मिलेट्स के उत्पादन, खपत और ब्रांडिंग को बढ़ावा देने को लेकर अपने-अपने देशों के अनुभव भी साझा किए। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मिलेट्स के उत्पादन और उपभोग को लेकर दुनिया के देश किस तरह से आगे आ रहे हैं। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के साथ एक समझौता ज्ञापन यानी एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए गए। विभिन्न देशों के कृषि मंत्रियों के साथ साझा चर्चा में भी यह बात सामने आई कि श्री अन्न के व्यापक स्वरूप की दिशा में काम करने के लिए सब साझा रणनीति बनाने की दिशा में एक राय से आगे बढ़ रहे हैं। निश्चित रूप से इस रणनीति के बेहतर नतीजे भी सामने आएंगे।
ग्लोबल मिलेट्स कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री के सम्बोधन की यह बात अहम है कि ‘जब हम किसी संकल्प को आगे बढ़ाते हैं तो उसे सिद्धि तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उतनी ही अहम होती है।’ श्री अन्न को दुनिया के हर व्यक्ति की थाली का मुख्य आहार बनाने का जो संकल्प भारत ने लिया, उस संकल्प की सिद्धि के आंदोलन में दुनिया के कई देश भारत के सहयात्री बन चुके हैं। एक तरह से किसानों के कल्याण और मानव के स्वास्थ्य जैसे शुचितापूर्ण उद्देश्यों के लिए शुरू हुआ श्री अन्न का आंदोलन अब वैश्विक बन चुका है।

नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री

(सौजन्य : पत्रिका )

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