किसी भी मनुष्य की जिंदगी में घटनाओं की एक जंजीर होती है । एक कमजोर कड़ी के बाद एक मजबूत कड़ी आये, ऐसा हो सकता है और ऐसा होता भी है कि हमने जिसे निष्फलता मान लिया, वह बड़ी सफलता की जननी बन जाती है । कमजोर और मजबूत कड़ीयों का कुछ गूढ़ संबंध होता [...]
सभी गुरुभाई एवँ गुरुबहनें गुरुपूनम के पावन पर्व पर अपने-अपने घरों में सद्गुरुदेव का विधिवत पूजन अथवा मानसिक पूजन अवश्य करें । ब्रह्ममुहूर्त के भी पहले उठने का प्रयास करें । स्नान करके प्रातः ४ बजे तक साधना में बैठें । कम-से-कम २-३ घंटे तक गुरुदेव का ध्यान करें । उसके बाद सद्गुरुदेव के लिए [...]
भारतीय इतिहास में एक से बढ़कर एक शिक्षक रहे हैं । श्रीराम से लेकर स्वामी विवेकानंद तक जितने भी युगनायक हुए हैं, उनके पीछे किसी महान गुरु का आशीर्वाद और शिक्षा रही है । शिक्षण पद्धति तो आदिकाल से चली आ रही है तथा हमारे पौराणिक ग्रंथों में गुरु-शिष्य परंपरा का जिक्र मिलता है । [...]
सीमा हिंगोनिया (वरिष्ठ पुलिस अधिकारी) कहती हैं - ‘पीड़ित पुरुष के लिए, उसकी सुनवाई के लिए कोई भी उचित प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं है । क्या पीड़ित सिर्फ महिला ही हो सकती हैं ? पुरुष नहीं ? उन पीड़ित पुरुषों को क्या न्याय नहीं मिल सकता ? कैसे, कहाँ मिले ? ये एक गंभीर महत्त्वपूर्ण [...]
रचनात्मक कार्य करने के लिए शांत और स्वस्थ दिमाग (मन) एक बुनियादी आवश्यकता है, क्योंकि सकारात्मक सुझावों को स्वस्थ एवं शांत मन द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है और इससे शरीर को रचनात्मक कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है । मन की शक्तियों, इसकी साधना और इसकी सीमाओं पर बुद्धिमान पुरुषों [...]
सिंधी जगत के एक संत हो गए टेऊँराम महाराज । बोलते थे तो वो परमात्मा के साथ एक हो जाते थे । शुध-बुध भूल जाते थे । और बच्चों को उनके साथ बहुत आनंद आता था। बच्चे अपने-अपने घर से निकलकर उनके पास पहुँच जाते थे । तो माता-पिता उनको रोकते थे कि क्या रोज़-रोज़ [...]
गुस्से में कोई काम न करें, वरना गलत ही करेंगे… जो आज का विज्ञान कह रहा, वही बात 16वीं शताब्दी में बलतासार ग्रासियन ने की थी । वे दार्शनिक थे । उन्होंने कहा था - “दोस्ती जीवन में सुख को बढ़ा देती है और दुःख घटा देती है ।” उनके कुछ विचार, सूक्तियों को साझा [...]
वर्तमान को बेहतर बनायें और भविष्य को उज्जवल स्कॉटलैंड देश की एक आध्यात्मिक शिक्षिका व लेखिका है इलीन केडी । बहुत बढ़िया बात कही है उन्होंने । वे कहती हैं – ‘हमेशा याद रखिए कि प्रेम, आनंद और सुख – एक उचित वातावरण को सृजित करता है और समान विचार के लोगों को पास में [...]
दैदीप्यमान भारत... श्रद्धापूर्ण भारत... विश्वगुरु भारत... हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया पर, भारत के कई राज्यों में, “जगन्नाथ रथयात्रा" की शुभयात्रा में, भारत के करोड़ों लोग श्रद्धा का आनंद लेते हैं... सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ... !! विशेषकर उड़ीसा को, जहाँ से समग्र भारत में रथयात्रा की मंगल शुरुआत हुई ! दिव्य, भव्य ओजस्वी भारत [...]
पहली तो होती है श्रद्धा । बिना श्रद्धा के... शालिग्राम में श्रद्धा रखनी पड़ती है, भगवान की मूर्ति में भी श्रद्धा रखनी पड़ती है । नास्तिक बोलेगा कि यह मूर्ति थोड़ी है, भगवान थोड़ी है, यह तो पत्थर है । नहीं... नास्तिक के लिए तुलसी पौधा है, फायदा नहीं होगा । गंगा केवल नदी है [...]
शब्दों से परे है प्रेम का एहसास देखो, आपको प्रेम करनेवाले जो भी हैं, यह संभव है कि वे आपका अहित भी कर सकते हैं, और आपकी अवहेलना, तिरस्कार व धिक्कार करनेवाले आपका हित-मंगल-कल्याण भी कर सकते हैं । प्रेम और नफरत करनेवालों के दो अलग गुट नहीं होते । सवाल हार-जीत का नहीं है [...]
सतत सावधानी ही साधना है (पूज्य साँईंजी की बोधप्रद वाणी) सतत सावधानी ही साधना है । असावधानी और लापरवाही असफलता का कारण है । चाहे कोई भी कार्य करो, उसमें सावधानी आवश्यक है । असावधान मछली काँटे में फँस जाती है, असावधान साँप मारा जाता है, असावधान हिरण शेर के मुख में चला जाता है, [...]
प्रसन्नता को अपना स्वभाव बना लो मेरे आत्मस्वरूप वत्स… ! भविष्य को लेकर सपने देखना, अतीत से जुड़े इतिहास से कहीं ज्यादा सुन्दर होता है ! अत: जो बीता, उसे भूलो । अपनी क्षमताओं को पहचानो । भविष्य के उज्ज्वल सपने देखो, उन्हें पूर्ण करने में जुट जाओ ! मैं तुम्हें असीम ऊर्जा से भर [...]
आनंद में रहकर आनंद का विस्तार करें... मैं एक सूत्र दे रहा हूँ - ‘स्वयं को बदलो, देश को बदलो, दुनिया को बदलो ।’ दुनिया और देश को बदलने के लिए शुरुआत हम स्वयं से करें । आजकल ऐसा देखा जा रहा है कि लोगों की दिनचर्या का अधिकांश हिस्सा परनिंदा और परदोषदर्शन में बीत [...]
शब्द व्यक्तित्व को निखारनेवाली संजीवनी है... प्रशंसा करने में ईमानदार इंसान कितने ? क्या इस मामले में हम और आप वास्तव में ईमानदार हैं ? हकीकत ये है कि अपना मतलब सिद्ध करने के लिए हम किसीके भी आगे प्रशंसा के पुल बाँधना शुरू कर देते हैं । ईमानदारी से प्रशंसा भी नहीं कर सकते [...]
योगं शरणं गच्छामि | ध्यानं शरणं गच्छामि | अध्यात्मं शरणं गच्छामि | “प्रेम देवो भव” मैं भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक, और गुजरात से उत्तर पूर्व के सेवन सिस्टर्स राज्यीं तक सभी को प्रेम के बल पर अध्यात्म से जोड़ना चाहता हूँ | वैश्विक संख्या संयुक्त राष्ट्र से लेकर पेरिस के एफिल टावर, कोलम्बो [...]