हे प्रभु ! हे हरि ! हे महादेव! हे शंभो ! हे केशव कृष्ण मुरारी ! हमारे जीवन में आपके प्रति अनन्य और अखंड प्रेम की आप ही रक्षा करना ! आपके प्रति श्रद्धा-विश्वास बरकरार रहे । हमारे जीवन में सत्य, प्रेम, करुणा के भाव जीवन भर बने रहें । हमारे जीवन में आनंद के वर्धक व रक्षक आप ही हैं । आपका नाम, आपका स्मरण सदा बना रहे !
हे अनंत ! हे गोविंद ! हे परमात्मन ! सर्व के रक्षक आपको हमारा कोटिश: नमन !! रक्षाबंधन पर रक्षासूत्र आपको कैसे बांधे ! आप हो ही इतने विरल, इतने महान कि आपके लिए हर राखी छोटी पड़ जाए !
फिर भी भाई के रूप में, वृक्षों के रूप में, गुरु के रूप में, आचार्य के रूप में आप हो – आप सर्वत्र हो, आप सर्वज्ञ हो ऐसा मान आपको रक्षा सूत्र बांधते हैं । रक्षमाम् ! हे नाथ ! हम आपके थे, हैं , रहेंगे ! सदैव आपके रक्षणीय !