अनंत सुख… अनंत आनंद… अनंत मस्ती… अनंत पुण्यलाभ… आत्मज्ञान से पाइये ! अपने आपको पहचानिये ; खुद से सवाल कीजिए ‘मैं कौन हूँ ?’ कहाँ से आए ? कहाँ है जाना ? क्या है करना ? कर क्या रहे ? क्या ये ठीक है ? लक्ष्य है क्या ? इन सवालों के सही जवाब जीवन की उचित दिशा तय करेंगे ! अतः खुद से प्रश्न करते रहें । अवसाद, चिंता, अकेलापन – पूरे विश्व में हर मानव की गंभीर समस्या बनी है, इसका ठोस उपाय है आत्मज्ञान को पाना । ‘स्व’ को जानना ! Be As You Are. आप जो हैं वही रहें ! स्वयंप्रकाश, चिदाकाश… केवल परमतत्व… स्वयं सिद्ध !
स्वयं को जानकर जीवन सफल बनाओ ! आत्मज्ञान पाओ !
– नारायण साँईं

आत्मज्ञान की मस्ती में,
निशदिन मस्त रहें ।।

खुशियों के आकाश में, आओ सैर करें ।
आत्मज्ञान की मस्ती में, निशदिन मस्त रहें ।।
हे नाथ ! तुम मेरे हृदय में, निशदिन बसे रहते हो ।
भूलूँ कैसे – बिसरूं कैसे ?
जब तुम ही मैं बन रहते हो ।।
तेरा चिन्तन, तेरा सुमिरन, हुआ ऐसा, हुआ ऐसा –
कि मैं बचा ही नहीं, केवल तू ही तू रह गया ।
जिंदगी अधूरी, तुझ बिन ।
जिंदगी है सूनी, तुझ बिन । जिंदगी है रूखी, तुझ बिन ।
जिंदगी है सूखी, तुझ बिन ।
जिंदगी मरुभूमि-सी, तुझ बिन । तुझसे है जिंदगी मेरी ।
तू ही है जिंदगी मेरी । तू मेरे जीवन का उपवन ।
तू ही है जीवनधन ।

– नारायण साँईं , 11-02-2020

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