Exclusive… सूरत से पूज्य श्री नारायण साँईं जी का रक्षाबंधन संदेश ! रक्षाबंधन, श्रावणी पूर्णिमा की खूब-खूब बधाई व शुभकामनाएँ ! ये पवित्र स्नेह का बंधन हमारी आत्मीयता, हमारे स्नेह, हमारी सुरक्षा, हमारी एकता, हमारी अखंडता को दिनोंदिन अधिकाधिक मजबूत करता रहे ! रक्षाबंधन और भाई दूज - निष्काम भाई-बहन के प्रेम के हैं ये [...]
रक्षाबंधन' पर्वोत्सव मनाइये, पवित्र संबंधों को मजबूत बनाइये । भारतीय संस्कृति का यह पर्व है पवित्रता का, प्रेम का, आत्मीयता का और भाई-बहन के संबंधों के पुण्य स्मरण का । बहन की सुरक्षा का, भाई की उन्नति का, सद्भाव का और परस्पर स्नेह की अनुभूति का ! भाई और बहन, भाई और भाई, पिता और [...]
नकारात्मक सोच अगर हटा दें तो शारीरिक अयोग्यता भी वरदान में बदली जा सकती है । महाकवि सूरदास बाहर की आँखें तो नहीं थी लेकिन अंदर की आँखें थी । उन्होंने अंधे होने के बावजूद भी महाकाव्य की रचना की । हेलन केलर नाम की लड़की अंधी भी थी, बहरी भी थी । सफल वक्ता [...]
(पूज्य साँईंजी के ‘ज्योत से ज्योत जगाओ’ नामक पुस्तक से संकलित) सत्शिष्य के हृदय से निकले उद्गार हैं ये ! – ‘सद्गुरु ज्योत से ज्योत जगाओ...’ जब अंदर की ज्योत जग जाती है, तो बाहर की ज्योत फीकी हो जाती है । जिसकी वह अंदर की ज्योत जग जाती है, वह धन्य-धन्य हो जाता [...]
पूज्य साँईंजी की बोधप्रद वाणी सतत सावधानी ही साधना है । असावधानी और लापरवाही असफलता का कारण है । चाहे कोई भी कार्य करो, उसमें सावधानी आवश्यक है । असावधान मछली काँटे में फँस जाती है, असावधान साँप मारा जाता है, असावधान हिरण शेर के मुख में चला जाता है, असावधान वाहन चालक दुर्घटना कर [...]
उत्तम दृष्टिकोण धारण करें ! (पूज्य साँईंजी द्वारा विरचित ‘उत्तम दृष्टिकोण’ नामक सत्-साहित्य से संकलित) दुःख में उद्वेग न हो । सुख में स्पृहा न हो । मान-अपमान में समता रहे । धन-संपत्ति सदा टिकती नहीं है, आने-जानेवाली है । शरीर-मन-समय-संसार परिवर्तनशील है । सर्दी-गर्मी, सुख-दुःख आने-जानेवाले हैं । ये समझकर उत्तम दृष्टिकोण अपनाकर सदा [...]
बस प्रयत्न करो… प्रयत्न करो… और प्रयत्न करो… करते ही रहो… सफलता मिलेगी मिलेगी और मिलेगी ही… अपना काम सिर्फ प्रयत्न करना ही है । फल और परिणाम की चिंता छोड़कर । जब परिणाम अपनी मर्जी के अनुसार मिलनेवाला ही नहीं है तो उसकी चिंता, फिक्र करने से क्या लाभ ! इसीलिये प्रयत्न करो… और [...]
किसी भी मनुष्य की जिंदगी में घटनाओं की एक जंजीर होती है । एक कमजोर कड़ी के बाद एक मजबूत कड़ी आये, ऐसा हो सकता है और ऐसा होता भी है कि हमने जिसे निष्फलता मान लिया, वह बड़ी सफलता की जननी बन जाती है । कमजोर और मजबूत कड़ीयों का कुछ गूढ़ संबंध होता [...]
हमें छोटी-छोटी बातों से ऊपर उठने की जरूरत है । मनुष्य को अपनी कमियों और मर्यादाओं को जीवन जीने के लिए अयोग्यता मानने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है । मनुष्य को अगर पंख मिले होते, तो हो सकता है उसने विमान की खोज कभी की ही नहीं होती । ईश्वर ने मनुष्य को बहुत [...]
धर्मपाल जो कुछ भी छू देता वह सोना बन जाता । आशीर्वाद जैसी कोई चीज़ होती है, है क्या ? अपने पिता के वादे का परीक्षण करने के लिए, धर्मपाल ने अपने जहाज में सामान लादा और उन्हें बेचने के लिए ज़ांज़ीबार बंदरगाह के लिए निकल पड़ा । अगर आशीर्वाद तीव्र और करुणा से भरा [...]
ब्रह्मज्ञानी को पूजे महेश्वर, ब्रह्मज्ञानी आप परमेश्वर । ब्रह्मज्ञानी मुगत-भुगत का दाता, ब्रह्मज्ञानी पूरण पुरुष विधाता । ब्रह्मज्ञानी को खोजे महेश्वर, ब्रह्मज्ञानी आप परमेश्वर । ब्रह्मज्ञानी का कथ्या न जाये आधा अखर, नानक ब्रह्मज्ञानी सबका ठाकुर । जेको जनम मरण ते डरे, साध जना की शरणी पड़े । जेको अपना दुःख मिटावे, साध जना की [...]
सभी गुरुभाई एवँ गुरुबहनें गुरुपूनम के पावन पर्व पर अपने-अपने घरों में सद्गुरुदेव का विधिवत पूजन अथवा मानसिक पूजन अवश्य करें । ब्रह्ममुहूर्त के भी पहले उठने का प्रयास करें । स्नान करके प्रातः ४ बजे तक साधना में बैठें । कम-से-कम २-३ घंटे तक गुरुदेव का ध्यान करें । उसके बाद सद्गुरुदेव के लिए [...]
चतुर्मास व्रत चतुर्मास में भगवान नारायण एक रूप में तो राजा बलि के पास रहते हैं और दूसरे रूप में शेष शय्या पर शयन करते हैं, अपने योग स्वभाव में, शांत स्वभाव में, ब्रह्मानंद स्वभाव में रहते हैं। अतः इन दिनों में किया हुआ जप, संयम, दान, उपवास, मौन विशेष हितकारी, पुण्यदायी, साफल्यदायी है। भगवान शेषशय्या [...]
गीता ने भी कहा - एकांतवासो लघुभोजनादो मौनं निराशा करणावरोध: । एकांत में रहना चाहिए । सारी वृत्तियाँ उस एक परमात्मा में जहाँ विश्रांति को प्राप्त होती है । वो जो विरक्त महात्मा होते हैं न ! विविक्त देशस्य सेवितवं अरतिर्जन संसति ।जनसमुदाय से दूर जाकर एकांत, अज्ञात में भगवान का भजन करते हैं । [...]
भारतीय इतिहास में एक से बढ़कर एक शिक्षक रहे हैं । श्रीराम से लेकर स्वामी विवेकानंद तक जितने भी युगनायक हुए हैं, उनके पीछे किसी महान गुरु का आशीर्वाद और शिक्षा रही है । शिक्षण पद्धति तो आदिकाल से चली आ रही है तथा हमारे पौराणिक ग्रंथों में गुरु-शिष्य परंपरा का जिक्र मिलता है । [...]
जानिए... स्वयं को ! उतरिए अपने भीतर... देखिए... खुद को... महसूस कीजिए, अपने अस्तित्व को, अपनी क्षमताओं को ! एक चिंगारी में क्या ताकत है... शायद एक तिल्ली को नहीं पता... ! आपमें भी अनंत, असीम ऊर्जा का भंडार भरा है । ये बहिर्मुख होकर नहीं, अंतर्मुख होकर ही पता चलेगा ! खुद के लिए, [...]