कितना अनोखा है वात्सल्य ! शुद्धतम प्रेम ! सर्जक है, उत्पादक है, निर्मात्री है - बालक की निर्दोषता और माँ का अनोखा प्रेम सदा संसार में आकर्षण का विषय बना रहेगा !
रोजमर्रा की सूचना के स्रोत अखबार, टेलीविजन और मीडिया हैं । पर ये सिर्फ सूचना के स्रोत ही नहीं रह गए हैं, बल्कि ये लोगों की सोच और व्यवहार को भी बड़े स्तर पर निर्धारित करते हैं । मीडिया की ताकत को नकारा नहीं जा सकता । हजारों, लाखों, करोड़ों लोगों की मानसिकता को, सोच [...]
सकल मनोरथ पूर्ण !! हनुमान चालीसा का पाठ आपने किया होगा – उसमें ये आता है कि और मनोरथ जो कोई लावे । सोई अमित जीवन फल पावे ।। अमित का अर्थ है असीम । एक ऐसा फल कि जिस फल की कोई सीमा ही न हो । अमर्यादित फल और वो अमर्यादित फल जीवन [...]
राम श्वास है । राम प्राण है । राम जीवन है । राम ही तो विश्राम है । राम बिन आराम कहाँ ? विराम कहाँ ? राम के नाम को, राम के सुमिरन को हम जीवन के ताने बाने में इतना बुन ले कि राम से श्रेष्ठ, राम से महत्वपूर्ण, राम से सुखदायी हमें अन्य [...]
साँई श्री लीलाशाहजी महाराज (प्राकट्य दिवस विशेष) (परम पूज्य साँई लीलाशाहजी की जीवनी ’जीवन सौरभ’ पुस्तक के कुछ अंश ) ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों की परंपरा आज भी जीवित है, सद्गुरु स्वामी रामानंदजी महाराज की परंपरा अपने सत्शिष्य संत कबीरदासजी पंथ से लेकर पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी जैसे महापुरुषों तक की ये संत परंपरा आज भी [...]
होली उत्सव, रंगोत्सव है, पोंखोत्सव भी है, फाल्गुन, वसंत और होली - तीनों का संगमोत्सव है । दक्षिण भारत में ‘काम दहन’ नाम से मनाई जाती है होली । असत्य पर सत्य के विजय का उत्सव है होली । वसंत के रंग-राग की बीच आनेवाली होली, धुलेण्डी के रंग... मौज-मस्ती की बारिश-सी करते हैं... उसके [...]
उल्लास और आनंद के समागम के साथ जीवन में रंग भरती होली... जीवन में इसका बड़ा महत्त्व है कि हम कैसे रंगों का समायोजन, अलगाव या जुड़ाव रखते हैं । जीवन में रंग महती भूमिका निभाते हैं । रंगों के माध्यम से ही हम प्रकृति की हरियाली से लेकर सूरज की सुनहरी रोशनी, आसमान का [...]
शिव मंदिरों में भगवान शिव को केवल दूध से अभिषेक करने के बदले प्रतीकात्मक थोड़ा-सा दूध और गंगाजल अन्य जल में मिलाकर उस जल से अभिषेक करना और बाकी का दूध गरीब बच्चों को पिलाना ये एक नई और अच्छी पहल होगी | भारतीय गौ-रक्षा मंच ने देशभर में ऐसी शुरुआत की है, मुझे खुशी [...]
आध्यात्मिक आचार्य या सद्गुरु की नूरानी नजरों को, मेहर भरी आँखों के माध्यम से, उनके दर्शनों से हमारे भीतर एक नई ऊर्जा, नई चेतना प्राप्त होती है । उनका हमारे ऊपर दृष्टिपात हमारे मन - मस्तिष्क को प्राणवान बनाता है और उमंग - उत्साह को बढ़ाता है । सद्गुरु के मेहर भरे दृष्टिपात,मादक पदार्थों व् [...]
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः । चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम् ।। 14 फरवरी का दिन है "मातृ पितृ पूजन दिवस ।" जो माता-पिता का पूजन करता है, उनका आराधन करता है, उनको चरणस्पर्श करता है, उसकी चार चीजें बढ़ती है । कौनसी ? 'आयुर्विद्या यशो बलम्...' एक तो उसकी आयुष्य बढ़ती है । दूसरा उसकी [...]
His Holiness Shri Narayan Saiji was born to the world famous Sant Shri Asharamji Bapu(Satgurudev) and Sri Sri Lakshmimaiya Ji. At a very young age, the Illuminated Saint Sri Leelashaji Maharaj gave Saiji a touch initiation on the aagyachakra, which is also known as the THIRD EYE. Till the age of four, as per the [...]
(स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग) - पूज्य नारायण साँईं जी लक्ष्यप्राप्ति की बलिवेदी पर, अपना तन-मन वारो । वार वार के वारो, चिंता, भय को फेंको । हिम्मत कभी न हारो साथियों ! हिम्मत कभी न हारो बच्चों ! हिम्मत कभी न हारो भाईयों ! हिम्मत कभी न हारो ! अपने अंतर में साहस, उद्यम, बल, [...]
जहाँ अक्सर नए सवाल और रोजमर्रा की नई समस्याएं लोगों को व्यथित व परेशान करती हैं वहाँ हम उनके उत्तर ढूँढते हुए समाधान के प्रयास करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि उम्मीदों का अनंत आकाश हमारे लिए सदा खुला था, खुला है और खुला रहेगा । उम्मीद सबसे बड़ी चीज है , वही ताकत [...]
हमारे सदगुरुदेव द्वारा प्रदान किए गए " एक में सब, सबमें एक " सूत्र को हमें आत्मसात करना है और यही दर्शन शासकों में, प्रजा में, सभी देशों में विकसित करना है तभी एक मंगलमय, सुखद, आनंदमय विश्व का निर्माण होना सम्भव हो सकेगा ऐसा मैं दृढ़तापूर्वक मानता हूँ । मेरे इसी विचार के सन्दर्भ में भारतीय [...]
ओजस्वी अध्यात्म वेदन्तिक जीवन शैली के प्रणेता - श्री नारायण साँईं जी द्वारा ओज-तेज से परिपूर्ण, प्रेरित और उत्साहित करने वाला दिव्य संदेश ! आज मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती और तुलसी पूजन दिवस के उपलक्ष्य में ... मेरे प्रिय साधक भक्तजनों, मेरे स्नेही हितेशी दोस्तों हम अपना-अपना हृदय टटोलें और ग़ौर से झाँकेंगे भीतर तो [...]
किसी न किसी नाम से, किसी न किसी रूप से है ये । 400 साल पहले जो थी उसमें इतने लोग नहीं मरे होंगे । 100 साल पहले जो थी उसमें उतने नहीं मरे होंगे जितने इस वक्त मरे है और आनेवाले 100 साल याने 2100 के अंदर 2120 वें दिन संभवतः पिछले 400-500 वर्षों [...]