पूज्य श्री नारायण साँई जी द्वारा सभी के लिए

कोरोना वाइरस से सीखने योग्य दो विशेष बोध पाठ !!

भारतीय संस्कृति के आहार-विहार के विपरीत आहार-विहार किया जाए और गीता के सिद्धांत के विरुद्ध जिएंगे तो अपने खुद के लिए भी समस्या बन जाएंगे और दुनिया के लिए भी ! तो इसलिए यह सीख लेने के लिए बहुत अच्छा समय है । कोरोना वायरस को देखते हुए “युक्ताहार विहारस्य” – गीता की युक्त आहार-विहार वाली आध्यात्मिक जीवनशैली अपनाएं !! ‘शाकाहार अपनाएँ…माँसाहार छोड़ें !’ अगर लोग माँसाहार नहीं करते और शाकाहारी ही रहते तो शायद यह वायरस नहीं बनता, नहीं फैलता । अगर यह किसी कोबरा के खाने से फैला है तो इससे हमें यह सीख लेने की जरूरत है  !

अगर यह किसी लेबोरेटरी में बनाया गया है – तो जो दूसरे को नुकसान करने के लिए टेस्ट करता है, वह अपने खुद के लिए और दुनिया के लिए खतरा बनता जाता है । इसीलिए “सर्वे भवंतु सुखिनः” की नीति पर जो देश चलेगा, वही टिकेगा और उन्हीं का सम्मान होगा और उन्हें विश्व स्वीकार करेगा ! जो सिर्फ तानाशाही के लिए दुश्मनों को और दुश्मन देशों को खत्म करने के लिए नए-नए प्रयोग करेंगे – इस प्रकार के बायोलॉजिकल वार की तैयारी करेंगे , रासायनिक हथियार बनाएंगे, जैविक हथियार बनाएंगे तो उनकी बदनामी होगी और उनका अपने देश में भी पतन होगा और दुनिया भी उनसे खतरा महसूस करेगी !

कोरोनावायरस से यह दो बोध पाठ लेने योग्य हैं ।

– पूज्य श्री नारायण साँईं जी

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