अपने दुःख में कौन नहीं रोता ? सब रोते हैं । दूसरों के दुःख को जो अपना दुःख नहीं समझता उसका दुःख कभी दूर नहीं होगा । जब तक दूसरे के सुख को अपना सुख नहीं समझोगे तब तक अपने हृदय में सुखस्वरुप सर्वेश्वर प्रकट भी नहीं होंगे । अतः प्राणिमात्र में अपनी आत्मा को देखो व समस्त विग्रहों को काट दो !

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