ईश्वर ने जो विपरीत परिस्थितियाँ भेजी, मैं उसकी कृपा की समीक्षा कर रहा हूँ और उस परीक्षा में मुझे लग रहा है कि मैं उत्तीर्ण हो रहा हूँ। यह आनंद की बात है। जीवन में आने वाले कष्टों में मैं कितना स्थिर रह पाया और वे विपरीत परिस्थितियाँ मेरे ऊपर कितनी बेअसर हुई इसका में आत्मनिरीक्षण कर रहा हूँ और आनंदित हो रहा हूँ कि तमाम प्रतिकूल घटनाओं से पसार होने के बावजूद मेरे चित्त की समता और शांति को में यथावत् रख पाया ।

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