खास पत्र – सेवा करनेवाले कर्मयोगियों के लिए…

सभी आश्रमवासी, गुरुभाई बंधु-भगिनी एवं दैवी कार्यों में लगे हुए साधक-साधिकाएँ, समिति के पदाधिकारीगण – सभी को नारायण साँईं का सप्रेम गुरु स्मरण ।

एक बात कहूँ ?
देखो, जब आप किसीको मदद, सहायता, सेवा करते हो, तब ऐसा सोचकर खुश होना कि उस व्यक्ति द्वारा की गई प्रार्थनाओं का उत्तर ईश्वर तुम्हारे जरिए दे रहे हैं ! ये सौभाग्य है हमारा कि सेवा करने लायक ईश्वर ने हमें बनाया और हमारा चुनाव किया कि हम सेवा, सहायता कर पाने के काबिल बने !
सेवा कर पाना सौभाग्य है ।
सेवा करने की पात्रता, बुद्धि, समझदारी सबमें नहीं होती ।
समाजरूपी ईश्वर की सेवा करना मानव जीवन की सफलता है ।

संतों ने कहा है :-
तन से सेवा कीजिए, मन से भले विचार ।
धन से इस संसार में, करिये पर-उपकार ।।

‘सेवा धर्मो परम गहनो…’

सेवा करने की सद्बुद्धि आपको ईश्वर ने प्रदान की है, ये जानकर मैं सचमुच प्रसन्न हूँ । आपको ईश्वर ने सेवा करने लायक बनाया, आपको चुना, पसंद किया और सेवा करने के अभिमान से भी मुक्त रखा, उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ ।
आपकी सेवा आपका, आपके परिवार का कल्याण करें ।
लोक-परलोक सुखदायी बनाएँ ।

कर सेवा गुरु चरणन की, युक्ति यही भव तरणन की…!

गुरु भक्तों के खुल गए भाग, जब गुरु सेवा मिले…!

रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नाग पंचमी की सभी को शुभकामनाएँ ! बधाई !

बहुत गई थोड़ी रही अब !! आ ही रहे हैं !

आपका,

नारायण साँईं ‘ओहम्मो’
5 सितंबर, 2023

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