विश्व को आतंकवाद नहीं,

ओजस्वी अध्यात्मवाद चाहिये !

विश्व को आतंकवाद की पीड़ा नहीं ओजस्वी अध्यात्मवाद से निकला प्रेम चाहिये ! करुणा चाहिये  ! सत्य का मार्ग चाहिये ! जो दूसरों को पीड़ित करे, निर्दोष बेगुनाह लोगों की हत्या करे वह धर्म कैसे हो सकता है ? वास्तविक इस्लाम ऐसा नहीं है ! जिन्होंने इस्लाम धर्म को नहीं समझा है ऐसे मुसलमान ही आतंकवाद को अपनाते हैं, उससे जुड़ते हैं और हिंसा को फैलाते हैं । आतंकवादियों ने इस्लाम धर्म को ठीक से समझा ही नहीं और वे कुरान का गलत अर्थघटन करके दुनिया में अशांति, हिंसा और आतंक फैला रहे हैं !

दुनिया को प्यार, मोहब्बत की जरुरत है । सबसे अधिक जरुरत है विश्व को प्रेम की ! ओजस्वी अध्यात्मवाद की । प्रेम ही परमात्मा है । खुदा है । अल्ला है । गॉड है । सुपर पावर है । जीसस ने कहा था कि मेरे लिए प्रेम से अतिरिक्त कोई ईश्वर नहीं है । प्रेम में परमात्मा को प्रगट करने की क्षमता है । यह प्रेम परस्पर परिवार में, समाज में, अपने प्रांत में, अपने राष्ट्र में और सम्पूर्ण विश्व में हो ! प्रेम से जिसका जन्म होता है उसका नाम है त्याग । 

हररोज आतंकी घटनाओं को, हमलों से जुड़ी खबरों को पढ़–सुनकर मन विचलित हो जाता है । क्या हम वाकई 21 वीं सदी में जी रहे हैं ? धर्म की आड़ में बेगुनाहों को बेवजह मारनेवाले न धार्मिक हैं और न इंसान हैं । वे इंसानियत के दुश्मन हैं । आतंकवादी इंसान नहीं शैतान हैं । धर्म के नाम पर गुमराह करनेवाले और गुमराह होने वाले लोगों को विश्व के धर्मों में सही रास्ता समझने वाले ओजस्वी आध्यात्मवादी धर्मगुरु ही प्यार–मोहब्बत, सत्य और अहिंसा, मानवता का पाठ पढ़ा सकते हैं । उचित रास्ता दिखा सकते हैं । विश्व को हिंसा की आग से, नफरत की ज्वालाओं से हर कीमत पर बचाना ही होगा । आतंकवाद की राह पर चलने वालों को समझना होगा, उनका मानस परिवर्तन करना होगा, क्योंकि वे गलत राह पर चल पड़े हैं । विश्व के मुस्लिम धर्मगुरु कि जो वास्तविक इस्लाम को समझते हैं उन्हें शीघ्रातिशीघ्र आतंकवादियों का मानस परिवर्तन करना चाहिए !

शेख हसीना ने कहा कि अगर आतंकवादियों को इस्लाम धर्म की जानकारी होती तो ये नरपिशाच रमजान जैसे पवित्र महीने में खून की नदियाँ बहाने का दुस्साहस नहीं करते ! क्योंकि इस्लाम में रमजान महीने में युद्ध को भी स्थगित कर देने का आदेश है । जो आपस में लड़ते नहीं, हथियार उठाते नहीं ऐसे किसी भी व्यक्ति पर हमला करने की इजाजत इस्लाम या अन्य कोई धर्म देता नहीं है । ऐसा कृत्य अधर्म ही है !

आज के इंटरनेट और सोश्यल मीडिया के युग में आइएस द्वारा अपनाई जाने वाली मोडस ओपरन्डी इतनी खतरनाक है कि वे असंतुष्ट मुस्लिम युवाओं के दिमाग में हिंसक विचारों का जहर घोल देती है और उन्हें स्लीपर सेल बना देती है और हमें तब तक पता नहीं चल पाता जब तक एक दिन किसी शैतान की नाई हमला करके आतंक न मचा दे ! विश्वभर के कुछ देशों में पिछले वर्षों से जिस तरह आतंकवादी घटनाएं बढ़ रही हैं, ये सचमुच चिंताजनक है और इन्हें रोकने के लिए हमें इंटरनेट और सोश्यल मिडिया भी उपयोग करना होगा और उन्हें समझना होगा कि इस्लाम धर्म के नाम पर जो लोग हिंसा का, आतंक का, जेहाद का मार्ग अपनाते हैं वे इस्लाम को समझ ही नहीं हैं । वे इस्लाम का गलत अर्थ घटन कर रहे हैं ।

आइएस की नइ मोडस ओपरेंडी असंतुष्ट इस्लाम के युवाओं को आतंकी बना रही है और इस मोडस ओपरेंडी को समझना होगा । अबतक की हुई छुट – पुट घटनाओं को जोड़कर देखेंगे तो पता चलेगा कि ऐसा चित्र सामने आएगा कि पहले आतंकवादियों ने अलग अलग ग्रुप बनाकर युवाओं को अपने केम्प में बुलाकर उन्हें आतंकवादी ट्रेनिंग देते थे । बाद में आतंक फैलाने के लिए किसी देश में भेजते थे । सतर्क रहकर नज़र रखी जाए तो ऐसे आतंक का मुकाबला किया जा सकता है लेकिन आइएस इंटरनेट और सोश्यल मिडिया द्वारा जिस किसी देश के हिजरत किये हुए, असंतुष्ट मुस्लिम युवाओं को इस्लाम के नाम पर गुमराह करते हुए भ्रामक मेसेजिस, बार – बार भेज भेज कर उन्हें कट्टरवादी बनाते हैं और फिर उनको सतत लगातार ऐसे समाचार और वीडियो तथा फोटो भेजते हैं और इस तरह बार बार ऐसे चित्र, विडियो और मेसेज देख पढ़ कर उनका ब्रेन वोश होता रहता है और कट्टरवाद – आतंकवाद का स्लो पोइझन उनके दिमाग में घुलता रहता है । उन युवाओं को ये समझाते हैं कि तुम्हारे साथ अन्याय हो रहा है, अन्याय को रोक पाना अब संभव ही नहीं रहा, अब एकमात्र उपाय बचा है जिहाद करने का ! जिहाद तो मुस्लिम धर्म में सर्वोच्च धार्मिक कार्य है और ऐसा करनेवाला सीधा जन्नत में जाता है । इस तरह सतत जिहाद का, अन्याय का हिंसक वैचारिक विष उनके दिमाग में स्लो पोइझन थॉट्स के रूप में डाला जाता है और फिर वे लोग स्लीपर सेल बन जाते हैं उसके बाद उनको आतंकी कृत्यों में कभी भी भेज देते हैं – नियुक्त कर देते हैं ऐसे में इंसान के भीतर शैतान पनपता जाता है और वो कब आतंकवादी बन जाए – कहा नहीं जा सकता ! जबतक वो आतंक न फैलाए तबतक पता भी नहीं चलता कि वह शैतान है ! आतंकवादी है !

दूषित हिंसक विचारों का विष युवाओं के दिमाग में डाला जाता है कि उसकी गरीबी के जिम्मेदार वे लोग हैं, ये समाज है, ये कम्युनिटी है और तर्क – वितर्क करके अपने बातों से उसे समझा दिया जाता है कि जबतक इनको मारा नहीं जायेगा तबतक भला होने वाला नहीं है । उन्हें अति आधुनिक हथियारों का जखीरा पहुँचा दिया जाता है और वे अकेले अकेले भी कई लोगों को मारने के घातक खतरनाक पागलपन में आ जाते हैं और शैतान उनके दिमाग पर हावी हो जाता है और वे, कि जो कभी समझदार थे, नासमझ बेवकूफ पागल से बनकर शैतानी कार्य आतंकवाद का हिस्सा बन जाते हैं और मरने – मारने के सिवा उनको कुछ समझ में नहीं आता । वे आत्मघाती हमलावर बन जाते हैं । फ्लोरिडा की गे क्लब में हमला करने  वाला शैतानी दिमाग के आतंकवादी ने अकेले ही अनेकों निर्दोषों की जान ले ली – 53 लोगों को घायल किया था । फ्रांस के स्टेडियम रेस्टरों और बार पर आत्मघातियों ने इसी तरह एक हमला करेक 130  निर्दोष लोगों को मार डाला ।

नकारात्मक हिंसक शैतानी विचारों के फैलते विष को फैलाना सोश्यल मिडिया द्वारा बहुत सरल हो गया है इसलिए विश्व के जितने भी लोग हैं संस्थाएं हैं, धर्म हैं, राष्ट्र हैं कि जो आतंकवाद को मिटाना चाहते हैं उन्हें सबसे पहले सोश्यल मिडिया पर वाच रखने के लिए अपनी टीम बिठानी चाहिए जो युवाओं को वास्तविक मानवता का पाठ पढाएं और सोश्यल मिडिया के मालिक – फेसबुक, वाट्सअप, गुगल कम्पनियां ऐसे एक्सपर्ट की टीम बनाए जो वाच रखें और कट्टरवादी, आतंकवादी विचारों के विष को अध्यात्मवादी ओजस्वी लोग अधिक सक्रिय होकर सत्य, प्रेम, करुणा, अहिंसा के विचारों को अधिकाधिक फैलाएं और वे मुस्लिम धर्मगुरु कि जो आतंकवाद को मुस्लिम समाज के लिए कलंक समझते हैं वे ऐसे युवाओं का नेतृत्व करने के लिए खुलकर आगे आयें औए उन्हें समझाएँ कि वे जेहाद का गलत अर्थघटन कर रहे हैं । सच्चा मुसलमान आतंकवादी नहीं हो सकता और जो आतंकवादी है वे सच्चा मुसलमान भी नहीं हो सकता ।

      आइये, हम ओजस्वी अध्यात्म के जरिये विश्व में अमन – चैन – मोहब्बत – प्यार को फैलाएं । जेहाद का गलत अर्थ करनेवाले कट्टरवादी शैतानों को आतंवादी बनने से बचाएं और उन्हें मानवता का पाठ पढ़ायें ! विश्व को प्रेमवाद चाहिए ! आतंकवाद हरगिज नहीं ।

विश्व के हर देश की हर सरकार सुरक्षा एवं इंटेलिजेंस को मजबूत बनाएं और समाज के मानवतावादी लोगों के सहयोग से, सेवाभावी – जनहितकारी ट्रस्टों, संस्थाओं को साथ लेकर धर्म का मर्म समझनेवाले धर्मगुरुओं को साथ जोड़कर उनके अहिंसक ज्ञान का सोश्यल मिडिया के जरिये युवाओं को अमृतपान कराये । आतंकवादी विचारों के विष का निराकरण प्रेमवादी विचारों से ही हो सकता है अतः विश्व को आतंकवाद से मुक्त करना हो तो ओजस्वी अध्यात्मवाद का विकल्प प्रस्तुत करना होगा ।

यही एकमात्र उपाय है । विश्व के सभी देशों की सरकारें सोश्यल मिडिया के जरिये लोगों में सकारात्मक, अहिंसक, प्रेमयुक्त सद्विचार, सत्कर्म फैलाएं – अच्छे विचारों का अमृत फैलाएं ! अच्छे लोगों के अच्छे विचार व अच्छे कार्यों के चित्र (फोटो), वीडियो व उनकी अच्छी अमृतवाणी विभिन्न भाषाओँ में अनुवाद करके लोगों तक प्रचारित प्रसारित करें ताकि लोग धर्मों के दायरों से ऊपर उठकर ओजस्वी अध्यात्मिक प्रेमवादी बनें और कुछ वर्षों में हम देखेंगे कि विश्व में आतंकवाद एक इतिहास बन चूका है । आतंकवादमुक्त विश्व के निर्माण के लिए आओ, सभी धर्मों के लोगों सभी राष्ट्रों, हम एक होकर मिलकर प्रयास करें और गुमराह होते युवाओं को आतंकवाद से बचाएं –

प्रेमवाद से जोड़ें – प्रेमवाद फैलाएं – क्योंकि ओजस्वी अध्यात्मवाद से ही आतंकवाद मिटेगा ।

‘आतंकवाद छोडो,

आनंदवाद अपनाओ ।’

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