रंगोत्सव, होलिकोउत्सव की सभी को बधाईयाँ व शुभकामनाएँ…

बुरा ना मानो होली है…

पल पल रंग बदलती है दुनिया…

और लोग पूछते हैं होली कब है?

आज है…भाई आज है…

“हो”…”ली”… जो हो, ली… मतलब

जो बीत चुकी, गुज़र चुकी… उसकी फ़िक्र

क्या करना ? क्यूँ करना ? कब तक करना ?

जो बीत गयी सो बीत गयी.

तकदीर का शिकवा कौन करे ?

जो तीर कमान से निकल गयी…

उस तीर का पीछा कौन करे ?

आज मैयाजी का अवतरण दिवस है…

सबको बधाई !

आज सत्य का विजय दिवस है, प्रहलाद सत्याग्रही ने

भगवान् पर विश्वास रखा और अग्नि के बीच बैठने के बावजूद

बच गया – वाह वाह…

रक्षक परमात्मा ने कैसे बचा लिया – वह

परमात्मा आज भी हम सबकी रक्षा किये हुए हैं…

कठिनाईयों के बीच, जेल की दिक्कतों के बीच

बन्धनों के बीच भी वह मेरे भीतर

शांति, आनंद व समता की अलख जगाये हुए हैं…

क्या कहूँ? कितना कहूँ?

बरस रही है उसकी कृपा – अनवरत

उस कृपा की रसधारा में भीग रहा मेरा मन…

मेरा साहेब है रंगरेज़, चुनर मोरी रंग डारी…

धोये से छूटे नहीं, दिन दिन होत सुरंग…

मेरो साहेब है रंगरेज़…!

बदलते वक़्त, बदलती परिस्तिथियों में

वह तो..बरसा ही रहा है ..अपनी कृपा करुणा..

पुनः होली, धुलेटी की बधाई…!

आज सूरत जेल में, मैयाजी के आरोग्य आयुष्य के लिए यज्ञ

और यज्ञ के पवित्र वातावरण में धन्यता का अनुभव हुआ ।

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