अध्यात्म की दुनिया तो एकदम निराली है। उसमें तुम्हारी चाल या शैली के साथ कोई लेना-देना नहीं है। जन्मों-जन्मों तक रात-दिन दौड़ा जाये तब भी कभी पहुँचा नहीं जा सकता और कुछ लोग तो आँखे खोलते ही पलकभर में पहुँच जाते हैं। अध्यात्म के जगत् में तुम कितना दौड़ते हो यह बिलकुल जरूरी नहीं [...]
एक खास बात है - कि लगभग हर मनुष्य स्वयं को अतृप्त, अपरिपूर्ण महसूस करता है ! हर मानव पूर्ण तृप्ति, पूर्ण संतुष्टि चाहता है परंतु उसे लाख कोशिशें करने के बावजूद भी तृप्ति , संतुष्टि मिलती नहीं है ! क्यों ? क्योंकि सही मार्ग से बेखबर है ! गुजरात के पोरबंदर में एक निलेश [...]
शरद पूर्णिमा पर नारायण साँईं का संदेश... आप सभी को शरद पूर्णिमा की हार्दिक बधाई देता हूँ । नवरात्र व दशहरा (विजयादशमी) के बाद अब दीपावली के प्रकाश पर्व की बेसब्री से प्रतीक्षा हो रही है । शरद पूर्णिमा के बाद तोड़े गए आँवलों का महत्व है और इन आँवलों से बना च्यवनप्राश बहुत गुणकारी [...]
शरद पूर्णिमा की खीर : एक अमृतमय औषधि ! शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में छत पर चंद्रमा की किरणों में महीन कपडे. से ढक कर रखी हुई खीर अवश्य खानी चाहीए। भरपेट ना खाएं रात होने के कारण कम खाएं, सावधानी बरतें। यह चंद्रमा की किरणों में ढाई-तीन घंटे (९-१२ बजे) रखी हुई खीर [...]
We have to assimilate/imbibe in ourselves the nectarine precept “All in One, One in all” bestowed by our revered SadGurudev and this philosophy needs to be evolved in each & every ruler, citizen & country. Only then a beneficent, joyous & blissful world could be created and this is my firm conviction. In this context [...]
नवरात्रि का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक महत्त्व नवरात्रि शब्द से नव अहोरात्रौ (विशेष रात्रियों) का बोध होता है । इस समय शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है, क्योंकि रात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है । भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्त्व दिया है । यही [...]
साँई संदेश... देखिये, परिवर्तन को कोई रोक नहीं सकता, यह होना, होना होना ही है! कालचक्र घूमता जा रहा है। अच्छा - बुरा समय सबका होता है। अगर इसे अच्छा समय मानते हैं तो यह भी न रहेगा और बुरा मानते हैं तो ये भी सदा न रहेगा। बदलेगा, परिवर्तन होना, बदलाव होना....यही नियति है [...]
बुद्ध पूर्णिमा साँई संदेश... गौतम बुद्ध के बारे में दो भ्रामक धारणाएं - मान्यताएं प्रचलित रहीं। एक तो बुद्ध दुःखवादी हैं और दूसरी कि गौतम नास्तिक हैं । मैं कहता हूँ कि जब मूल वाणी (वचनामृत) उपलब्ध नहीं होता तब अनजाने में गलत अर्थघटन करने का एवं इरादतन दुष्प्रचार करने का काम बहुत सरल बन [...]
कितना अनोखा है वात्सल्य ! शुद्धतम प्रेम ! सर्जक है, उत्पादक है, निर्मात्री है - बालक की निर्दोषता और माँ का अनोखा प्रेम सदा संसार में आकर्षण का विषय बना रहेगा !
रोजमर्रा की सूचना के स्रोत अखबार, टेलीविजन और मीडिया हैं । पर ये सिर्फ सूचना के स्रोत ही नहीं रह गए हैं, बल्कि ये लोगों की सोच और व्यवहार को भी बड़े स्तर पर निर्धारित करते हैं । मीडिया की ताकत को नकारा नहीं जा सकता । हजारों, लाखों, करोड़ों लोगों की मानसिकता को, सोच [...]
सकल मनोरथ पूर्ण !! हनुमान चालीसा का पाठ आपने किया होगा – उसमें ये आता है कि और मनोरथ जो कोई लावे । सोई अमित जीवन फल पावे ।। अमित का अर्थ है असीम । एक ऐसा फल कि जिस फल की कोई सीमा ही न हो । अमर्यादित फल और वो अमर्यादित फल जीवन [...]
राम श्वास है । राम प्राण है । राम जीवन है । राम ही तो विश्राम है । राम बिन आराम कहाँ ? विराम कहाँ ? राम के नाम को, राम के सुमिरन को हम जीवन के ताने बाने में इतना बुन ले कि राम से श्रेष्ठ, राम से महत्वपूर्ण, राम से सुखदायी हमें अन्य [...]
साँई श्री लीलाशाहजी महाराज (प्राकट्य दिवस विशेष) (परम पूज्य साँई लीलाशाहजी की जीवनी ’जीवन सौरभ’ पुस्तक के कुछ अंश ) ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों की परंपरा आज भी जीवित है, सद्गुरु स्वामी रामानंदजी महाराज की परंपरा अपने सत्शिष्य संत कबीरदासजी पंथ से लेकर पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी जैसे महापुरुषों तक की ये संत परंपरा आज भी [...]
होली उत्सव, रंगोत्सव है, पोंखोत्सव भी है, फाल्गुन, वसंत और होली - तीनों का संगमोत्सव है । दक्षिण भारत में ‘काम दहन’ नाम से मनाई जाती है होली । असत्य पर सत्य के विजय का उत्सव है होली । वसंत के रंग-राग की बीच आनेवाली होली, धुलेण्डी के रंग... मौज-मस्ती की बारिश-सी करते हैं... उसके [...]
उल्लास और आनंद के समागम के साथ जीवन में रंग भरती होली... जीवन में इसका बड़ा महत्त्व है कि हम कैसे रंगों का समायोजन, अलगाव या जुड़ाव रखते हैं । जीवन में रंग महती भूमिका निभाते हैं । रंगों के माध्यम से ही हम प्रकृति की हरियाली से लेकर सूरज की सुनहरी रोशनी, आसमान का [...]
शिव मंदिरों में भगवान शिव को केवल दूध से अभिषेक करने के बदले प्रतीकात्मक थोड़ा-सा दूध और गंगाजल अन्य जल में मिलाकर उस जल से अभिषेक करना और बाकी का दूध गरीब बच्चों को पिलाना ये एक नई और अच्छी पहल होगी | भारतीय गौ-रक्षा मंच ने देशभर में ऐसी शुरुआत की है, मुझे खुशी [...]