भारत से लाई हुई गायों के साथ समय बिताने के लिए, उसे गले लगाने के लिये लोग पैसे देते है।

काउथेरेपी: ऑस्ट्रेलिया में मानसिक रोगियों की भारतीय प्रजाति की गायों द्वारा चिकित्सा, ओटीज़म पीड़ितों को भी गाय के साथ रहने से सुधार
अभ्यास के समय लॉरेंस को विचार आया, क्रिप्टो से गायें खरीदी।

लॉरेंस फॉक्स ने क्रिप्टो करंसी से ये सारी गायें खरीदी हुई है। जब वह सेंट्र क्वीन्सलैंड यूनिवर्सिटी में एमबीए कर रहा था, तभी उसे काऊ थेरेपी बिज़नेस का विचार आया था। उन्होंने उसकी फी तथा उससे होनेवाली आय के विषय में कुछ भी नही बताया है।

भारतीय गायों के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया में मानसिक रूप से बीमार लोगों की चिकित्सा की जा रही है। यहां नार्थ क्वीन्सलैंड में काऊ कडलिंग केंद्र बनाए गए है, जहां मानसिक शांति हेतु लोग गाय को आलिंगन देने हेतु पहुंच रहे है। गायों के साथ समय बिताकर शांति पा रहे है। उसे गले लगाकर उसकी सेवा कर रहे है। इसके लिए चार्ज भी देना पड़ता है। यहाँ तक कि इस साल से 4 एनडीआईएस कम्पनियां (नेशनल डिसेबिलिटी इन्श्योरेंस स्कीम) उसे अपनी नई स्कीम में भी कवर करने की योजना बना रही है। भारतीय प्रजाति की गायें शांत होने से उसे पसंद की गई है। मानसिक समस्या से गुजरती हुई डोना अस्तिल ‘काऊ कडलिंग’ फार्म में गायों की सेवा कर रही है। मानसिक बीमार होने के बावजूद भी यहां नौकरी मिल गई। वह पर्सनालिटी डिसऑर्डर, गभराहट और डिप्रेशन से पीड़ित है। धीरे धीरे ठीक हो रही है। वह बताती है कि इन भारतीय गायों ने मेरी जान बचाई है। एक साल पहले तक यदि किसीने मुझे काऊ थेरेपी के बारे कहा होता तो मैं उसे हास्यास्पद मानती, परंतु एक वर्ष में मैं पहले से काफी स्वस्थ हूँ। यह बात मेरे जुड़वा बेटे भी अनुभव कर रहे है। हरेक गाय का अलग व्यक्तित्व होता है। वह तुमको अंदर से स्वस्थ करती है। यहां गायें ओटीज़म से पीड़ित मरीजों के लिए थेरपिस्ट जैसा काम करती है। उनकी भी गायों के साथ रखकर चिकित्सा की जाती है। इससे पहले वे घोड़ों के तबेले में जाते थे, जिसे इक्वाइन थेरेपी कहते है। ओटीज़म कार्यकर और विज्ञानी टेम्पल ग्रेंडीन कहते है कि, इस बीमारी से पीड़ित इंसान दूसरे इंसान के साथ सहज व्यवहार नही कर पाता है। ऐसे में उनको प्राणियों के साथ सहजता लगती है। धीरे धीरे इंसानों के साथ भी सहज अनुभव करता है। ऑस्ट्रेलिया में अब इक्वाइन थेरेपी के विकल्प के रूप में काऊ थेरेपी लोकप्रिय हो रही है।

(Courtesy: Divya Bhaskar, Surat, 30/08/2022)

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