1. नवरात्रि के अंतिम दिन हो अपनी जननी मातृशक्ति का पूजन ! जितने भी समर्पित सेवारत साधक भाई बहने हैं, उनके समर्पण, गुरुप्रेम, सेवा भाव और निष्ठा के पीछे उनके माता पिता का महत्व पूर्ण योगदान और हाथ है ।पूज्य साईं जी का यह कहना है कि नवरात्रि का अंतिम दिवस यानी दशहरे से एक दिन पूर्व का दिवस हम सभी अपनी – अपनी माताओं का पूजन सम्मान करें। क्योंकि हमारी माता ही असली दुर्गा शक्ति है, जिनकी प्रेरणा, आशीर्वाद, त्याग, तपस्या से हम सभी सदगुरुदेव, साईं जी के द्वारा संचालित देवी कार्य समाज कल्याण सेवाओं में प्रवृत्त हुए हैं। पत्थर की मूर्ति की पूजा से कई ज्यादा उत्तम है अपने माता-पिता, शक्ति रुप माता का पूजन। चौदह फरवरी को तो यह दिन हम मनाते ही हैं, परंतु साईं जी का यह कहना है, क्योंकि नवरात्रि में शक्ति की पूजा का प्रावधान है इसलिए हम सब अपने अपने घर की शक्ति रूपा अपनी माँ को सम्मानित एवं पूजन करें।

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