महान व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को भीतर ढूंढते हैं,जबकि कमजोर उन्हें पाने के लिए पराधीनता का आश्रय लेते हैं । सत्य,ज्ञान, प्रेम,आनंद और ईश्वर जिसको भी मिला है भीतर मिला है। सद्गुरु स्वरूप का ज्ञान देकर जीव को शिवत्व में प्रतिष्ठित कर देते हैं, तब मिलता है आनंद निज स्वरूप का, ब्राह्मी स्थिति प्राप्त कर…

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