आध्यात्मिक आचार्य या सद्गुरु की नूरानी नजरों को, मेहर भरी आँखों के माध्यम से, उनके दर्शनों से हमारे भीतर एक नई ऊर्जा, नई चेतना प्राप्त होती है । उनका हमारे ऊपर दृष्टिपात हमारे मन – मस्तिष्क को प्राणवान बनाता है और उमंग – उत्साह को बढ़ाता है । सद्गुरु के मेहर भरे दृष्टिपात,मादक पदार्थों व् शराब से कहीं अधिक नशा देने वाले हैं और हमारे शरीर, मन, समाज या संबंधों पर इसके कोई प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं होते ।
भौतिक मादक द्रव्य भले ही क्षणिक रूप से हमारे दर्दों को भूला देने में कामयाब हों पर जब इनका प्रभाव उतर जाता है तब हमें पुनः इनकी नई खुराक की आवश्यकता होती है । मेहर भरे दृष्टिपात या महापुरुषों की नूरानी नजरों का ये कमाल ही है कि हमारे भीतर आत्मिक मादकता चढ़ने लगती है जो तत्काल दुःख – कष्ट – तनाव – चिंता से उबार लेती है और हमें एक ऐसी चेतनता की उच्चतर अवस्था में ले जाती है जो इस दुनिया में मिलने वाली किसी अन्य अवस्था से कहीं ऊँची है । उनका पावन दर्शन हमें परमानन्द की ऐसी अवस्था में पहुँचा देता है जो इस भौतिक मंडल की किसी अन्य अवस्था से कहीं ज्यादा प्रगाढ़ है । इसका अनुभव अनगिनत लोगों ने किया है, कर रहे हैं और करते रहेंगे । किसी ने ठीक कहा है –

“सच में, खुशनसीब हैं वे भाग्यवान लोग जो उनकी नूरानी नजरों में आ जाते हैं । उनका दृष्टिपात रोमांचक है, आल्हादक है ।”

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