पूज्य श्री नारायण साँईं जी ने लिखा है हमारे आपके लिए –

एक विशेष रूप से समझने और याद रखने की बात यह है कि,

हम ऐसी माँग क्यों करें कि उससे कि “चिंता व जिम्मेदारी का बोझ उठा लो – हे नाथ ! हे मालिक !” ना… ना… हम तो उस दिव्य प्रेम को प्राप्त करने की माँग करें, श्रद्धा-विश्वास-यकीन-इत्मिनान-सबूरी माँगे उस दाता से, कि जिससे आनेवाले हर दुःख, हर मुसीबत को सहन कर सकें, यह समझ आए हमें कि जो भी भेजा, आया, मिला – उसमें उसका कोई राज़ है, हमारी भलाई के लिए है – ये हमें याद रहे सदा !

उस परमपिता की ओर से ही आता है सब कुछ, जो मिला – जो मिल रहा, जो मिलेगा… हमें !
काश ! हमारा हृदय सदैव प्रेम की श्रेष्ठ समृद्धि से परिपूर्ण रहे और हाथ उदारता से युक्त रहें !
हर हाल में निश्चिंत, सुखी और संतुष्टि से भरपूर जीवन जीएँ !!

उसकी कृपा – रहमत जो है हम पर, फिर फिक्र क्यों करें ? कब तक करें ?

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