“योग यूनिवर्सल जर्नी है : मैं ‘आयंगर योगा’ का समर्थन करता हूँ”

विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य बी.के.एस. आयंगर का नाम आपने सुना होगा । भारतीय योग का विदेशों में प्रचार-प्रसार करने में उनके योगदान को भूलाया नहीं जा सकता । देश-विदेश की कई बड़ी-बड़ी हस्तियाँ उनसे प्रभावित रही और उनके सिखाये योग की अभ्यासु बन गयी । उनके द्वारा सिखाये गये योग को ‘आयंगर योगा’ के नाम से जाना पहचाना गया । खास बात यह है कि उन्होंने भारतीय योग को बेचा नहीं अपितु बाँटा । योग को उन्होंने प्रसाद रूप में वितरित किया, व्यापार नहीं बनाया । आंतरिक सूक्ष्म रूप से मेरा उनसे परिचय 2013-14 में हुआ जो बाद में बढ़ता रहा । अचानक खबर मिली कि वे स्थूल देह, नश्वर पार्थिव शरीर को छोड़ दुनिया को अलविदा कह गये । मैं ध्यानस्थ हो गया और अपनी चेतना के दर्शन में मैं उनके समीपस्थ हो गया । इस बात को भी कुछ समय बीत चुका है ।

अभी मैं बिरजू मेहता के बारे में आपको परिचय देना चाहता हूँ । ये आयंगर योगा के प्रशिक्षक के तौर पर देश-विदेश में जाने जाते हैं । इन्होंने वर्ष 1974 में बी.के.एस. आयंगर से योग सीखा था । पिछले 43 वर्षों से वे अपने योग गुरु आयंगर से प्राप्त किया योग प्रसाद स्वयं भी पाते हैं और यौगिक ज्ञान का प्रसाद बाँटते हैं ।

बिरजू मेहता का लक्ष्य है कि जो योग प्रसाद गुरुदेव से मिला उसे विश्व के प्रत्येक व्यक्ति तक वे पहुँचाना चाहते हैं । 29 जनवरी, 2018 मेरे जन्मदिवस के एक दिन पहले इन्होंने सूरत के अम्बिका निकेतन के मूक बधिर ट्रस्ट के हॉल में आयंगर योगा का प्रशिक्षण दिया था ।

‘आयंगर योगा’ के विश्वभर में करीब एक करोड़ टीचर हैं । इस योगा की खास टेकनीक ये है कि विकलांग, दिव्यांग, शरीर से अशक्त, कमजोर व्यक्ति भी कुछ साधनों की मदद लेकर कठिन आसन कर सकते हैं ।

लंदन में ‘योगा एज्युकेशन अथॉरिटी’ ने योगा टीचर्स को प्रशिक्षण देने के लिए आयंगर सिस्टम को योग्य माना यानी आयंगर जिसको सर्टिफिकेट देगा, उसे ही योग शिक्षा देने के लिए निर्धारित किया जाएगा | इस वजह से इस टेक्नीक का ‘आयंगर योगा’ नाम पड़ा ।

आयंगर योगा में प्रोप्स, चेर का उपयोग भी किया जा सकता है । ‘आयंगर योगा’ के लिए 3 टेकनिक्स हैं – एलाइनमेंट, टाइमिंग और सीक्वेंस । 36 देशों में योग सिखानेवाले मेहता कहते हैं कि योगा मेरे लिए यूनिवर्सल जर्नी है । शरीर के कई दर्दों की दवा है योग । स्ट्रेस मैनेजमेंट की योग बेस्ट दवा है । योग का अभ्यास करने से व्यक्ति का चित्त और मस्तिष्क फ्रेश, हल्का हो जाता है ।

मैं चाहता हूँ कि भारतीय योग को विश्व के सभी देशों में पहुँचाना चाहिए और इसीलिए स्वयं को और दुनिया को स्वस्थ, प्रसन्न रखने के लिए तथा दीर्घायुष्य के लिए योग को दैनिक जीवन में शामिल करना चाहिए ।

‘करो योग, रहो निरोग ।’

बिरजू मेहता को योग का विश्वभर में प्रचार-प्रसार करने के प्रयास जारी रखने के लिए मैं हार्दिक अभिनंदन देता हूँ ।

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