
सूरत से पूज्य श्री नारायण साँईं जी द्वारा चयनित समाचार…
एलास्मोथेरियम, जिसे ‘गांबीयन साइबेरियाई यूनिकॉर्न’ भी कहा जाता है, यह विलुप्त प्रजाति का विशालकाय गैंडा था, जो यूरेशियाई क्षेत्र में लेट प्लायोसिन और प्लेइस्टोसीन युग (लगभग 39,000 साल पहले) में पाया जाता था। यह अपने विशाल सींग और फर से ढके शरीर के लिए प्रसिद्ध था, जो इसे अन्य गैंडों से अलग बनाता था। यह प्राचीन गैंडा लगभग 5 मीटर लंबा और 2 मीटर ऊंचा था, और इसका वजन लगभग 4 से 5 टन तक हो सकता था। यह प्रजाति 1808 में जोहान फिशर वॉन वाल्डहेम की ओर से नामित की गई थी, जो उस समय मॉस्को के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के निदेशक थे। एलास्मोथेरियम का सींग अत्यंत बड़ा था और इसका आकार आधुनिक गैंडों के मुकाबले कहीं अधिक था, जो इसे एक प्राचीन यूनिकॉर्न की छवि से जोड़ता है। इसी कारण कई शोधकर्ताओं का मानना है कि यह प्रजाति यूनिकॉर्न की प्राचीन कथाओं और मिथकों का आधार हो सकती है, जो आज तक मानव सभ्यता में प्रचलित हैं। यह जीव विलुप्त प्रजातियों की सूची में शामिल है।
देखिए, 39,000 साल पहले के गेंडे को और आज के गेंडे में कितना फर्क है । समय के साथ कितना बदलाव हुआ है । कालचक्र घूमता जा रहा है । ये रुकता हरगिज नहीं ! इश्वर ने मानव व पशुओं में समय के साथ परिवर्तन किया है । समय के साथ बदलना चाहिए ।