पूज्य श्री नारायण साँईं जी द्वारा बसंत पंचमी

(10 फरवरी, 2019) निमित्त एक काव्यधारा…

सबको बसंत पंचमी की बहुत-बहुत बधाई…!!

एक कवि की बहुत खूबसूरत कविता साझा करता हूँ :-

सरसों के खेतों में,
सतरंगी रेतों में,
बरगद पे पेत्तों में,
पीपल की शाखों पे,
पंछी की पाँखों पे,
छाया वसंत है…

गोरीके गालों में,
जुडे में, बालों में,
गजरों में, गजरों में,
प्रेमी की नजरों में,
भाया वसंत है…

सुखिया की चौखट पे,
पिंजरे के पोपट पे,
बदखोरे पनघट पे,
लाजों के घूँघट में,
समाया वसंत है…

कुदरत के माली की,
अमृत में प्याली की,
भाया वसंत है…
छाया वसंत है…

मधुरस के पैमाने,
जी भर-के छलकाने,
मीठी-सी मुस्काने,
प्रीतम के अधरों पे,
लाया वसंत है…

भँवरे पे बागों में,
बँसी रंग-रागों में,
चूड़ी पे बेला पे,
मजनू में लैला पे,
आया वसंत है…

दूर्वा के झोखों में,
झीने-झरोखों में,
तिनखे की नोखों पे,
बिरवा की कोखों में,
कोंपल के किसलय की
काया वसंत है…

केसर की क्यारी में,
आँगन की क्यारी में,
टेसु का रंग देख
पुलकित अनंग देव
कुदरत के माली की,
अमृत में प्याली की,
माया अनन्त है…
छाया वसंत है…
आया वसंत है…
भाया वसंत है…

और फिर ऐसे वसंत में
अगर किसी संत के वचनों की
स्मृति में जिन्दगानी आगे बढ़ें
तो क्या कहना….
आया वसंत है…
आया वसंत है…
छाया वसंत है…

फिर से सबको बसंत पंचमी की खूब-खूब दिल से हार्दिक शुभकामनाएँ…!!

आपका अपना –
नारायण साँईं

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