बुद्ध पूर्णिमा साँई संदेश…

गौतम बुद्ध के बारे में दो भ्रामक धारणाएं – मान्यताएं प्रचलित रहीं। एक तो बुद्ध दुःखवादी हैं और दूसरी कि गौतम नास्तिक हैं । मैं कहता हूँ कि जब मूल वाणी (वचनामृत) उपलब्ध नहीं होता तब अनजाने में गलत अर्थघटन करने का एवं इरादतन दुष्प्रचार करने का काम बहुत सरल बन जाता है। __ मैं मानता हूँ कि सदियों तक गौतम बुद्ध के बारे में जैसा माना जाता रहा, सोचा जाता रहा – वे वैसे नहीं थे। और इन गलत भ्रामक मान्यताओं से भारत को बाहर लाने के लिए सत्य नारायण गोयनकाजी ने काफी प्रयास किया । गौतम बुद्ध के प्रति इन्हीं दो भ्रम मूलक मान्यताओं को केन्द्र में रखकर विपश्यना आचार्य स्व. गोयनकाजी ने दो पुस्तकें भी लिखीं है –

(१) क्या बुद्ध दुःखवादी थे ?

और (२) क्या बुद्ध नास्तिक थे ?

इन दोनों पुस्तकों में उन्होंने दोनों मान्यताओं, धारणाओं का तार्किक रूप से खंडन किया है।

मेरा स्व. सत्यनारायण गोयनकाजी से आत्मिक स्नेह रहा है । मैंने पहली बार उनको टीवी में देखा था जब मैं बद्रीनाथ से ऋषिकेश आ रहा था और मार्ग में श्रीनगर रुका था ! उसके बाद उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने की इच्छा रही, लेकिन वह अधूरी रही । विपश्यना का भारतीय मुख्यालय – इगतपुरी जो कि मुंबई – नासिक मार्ग पर है । वहाँ हमने कुछ घंटे बिताये थे। सत्यनारायण गोयनका वो व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत में लुप्त हुई बुद्ध की विपश्यना विद्या को बर्मा में उसके शुद्धतम स्वरुप को सीखकर पहले भारत में और बाद में विश्व भर में उसे प्रचलित किया !

भारत एवं विश्व में गौतम बुद्ध की वास्तविक विचारधारा – उनका साधन मार्ग, उपासना शैली को अधिकाधिक प्रेरित करने की आवश्यकता है ! समय के साथ गौतम बुद्ध के ऊपर मिथ्या कलंकों की कालिमा जो कि गाढ़ हो चुकी थी – अब मिट रही है और दनिया फिर से बुद्ध की महानता के साथ उनके सिद्धांतों को स्वीकार करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है – इस बात की बेहद खुशी है ।

बुद्ध पूर्णिमा को महात्मा बुद्ध का पुण्य स्मरण !

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