नयनाभिराम, लोकलाडिले, लोकहितकारी, लक्ष्मीनन्दन श्री श्री नारायण साँईं जी का संदेश…

आप सभी प्रसन्न होंगे ! रामनवमी, हनुमान जयंती, महावीर जयंती हाल ही में बीती । देश-विदेश में हिन्दू व जैन धर्म के तमाम लोगों में आध्यात्मिकता का विशेष संचार हुआ हैं ।
19 अप्रैल, 2019 को सूरत की कोर्ट में मेरे चाहक, समर्थक मुझे देखने के लिए उमड़ पड़े थे । मीडिया के लोग भी लालायित थे कि मैं कुछ बोलूँ, लेकिन….. मैंने मौन रहना ही उचित समझा, क्योंकि कई बार चुप रहना ही श्रेयस्कर होता है ।

इन दिनों चुनाव का माहौल है । अमेरिका के भूतपूर्व प्रमुख जॉन एफ केनेडी ने कहा था कि -लोकतंत्र में एक भी मतदाता का जागरूक न होना तमाम मतदाताओं की सुरक्षा को संकट में डाल सकता है इसीलिए मतदान सभी अवश्य करें । सोच-समझकर करें । बिना दबाव के, बिना प्रभाव में आए करें । आपका वोट बिकाऊ नहीं है । आपका वोट अंतरआत्मा की प्रेरणा से डाला जाए । विवेक से मतदान करें । लोकतंत्र को मजबूत बनाएँ । अहंकारी नेताओं को हराएँ । संवेदनशील नेताओं को जिताएँ ।
गुजरात के राजकोट के नजदीक राजसमढियाला गाँव है । वहाँ 1983 से चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध है और किसी भी प्रकार की चुनावी सभा करने पर रोक लगा दी गई है ।
(Ref. – 19.4.2019, दैनिकभास्कर, पेज – 2 )

तो देश का महात्यौहार चल रहा है । भारतीय चुनाव आयोग ने 1950 हेल्पलाइन नम्बर जारी किया है । किसी भी समस्या या सहायता के लिए इस नम्बर पर कॉल कर सकते हैं । मतदाता की सूची में आपका नाम तलाशने के लिए PCI टाइप करें फिर स्पेस दें । फिर आपका मतदाता पहचान कार्ड नम्बर टाइप करें और उसको 1950 पर SMS करें ।

बर्लिन से खबर आई है कि जर्मनी में बाल्टिक समुद्र में तीन महीने में विंड फार्म तैयार किया है । 160/60*** टरबाइन से 4 लाख घरों को बिजली मिलेगी । मुझे खुशी हुई है कि पर्यावरण को नुकसान किये बिना बिजली प्राप्त करने में सफलता पाई है ।
(Reference – दैनिकभास्कर, हिन्दी, पेज- 15, 19/4/2019)

आबुदाबी में 20 अप्रैल, 2019 को स्वामी नारायण मंदिर का शिलान्यास हुआ और पूज्य महंत स्वामी वहाँ पहुँचे और उनका रेड कारपेट से स्वागत हुआ ।


(Ref. – दैनिकभास्कर, गुजराती, पेज – 7, 19/4/2019)

भारतीय संस्कृति, परम्पराएँ विदेशों में भी मजबूती के साथ स्वीकारणीय हो रही है । यह जानकर मुझे प्रसन्नता हुई है । प्रमुख स्वामी से मैं वर्षों पहले जयपुर में मिला था । उन्होंने मेरे दोनों हाथ पकड़कर स्नेह बरसाया था और अपने साथ रहने के लिए आग्रह किया था । जयपुर के गोविंददेवजी मंदिर में मेरी उनके साथ हुई दिव्य मुलाकात को मैं कभी भूल नहीं सकता ।
मैं उम्मीद करता हूँ कि आबुदाबी में जल्दी मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होकर कुछ सालों में पूरा हो जाता कि अरब देशों में आनेवाले समय में भारतीय लोगों को अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाने में सहयोग मिलेगा ।
अब एक पुरुषार्थ की बात बताता हूँ कि –
‘लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती ।
और कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती ।।’
इस उक्ति को साकार करके दिखाया है जापान के एक दृष्टिहीन नाविक ने, उनका नाम है इवामोतो । बिना रुके 2 महीने में प्रशांत महासागर को आँखों से बिना देखे हुए पार किया है । आँखों से देखते नहीं और समुंदर की 14 हजार किलोमीटर की यात्रा….. हैं न हैरान करनेवाली बात ! मनुष्य चाहें तो क्या नहीं कर सकता । क्या नहीं हो सकता ।

     जापान के दृष्टिहीन नाविक इवामोटो ने बिना रुके दो माह में पार किया प्रशांत महासागर

ऐसा करने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने
एजेंसी | टोक्यो
जापान के एक दृष्टिहीन नाविक ने बिना रुके दो महीने में प्रशांत महासागर पार किया है। 52 वर्षीय मित्सुहीरो इवामोटो ने शनिवार को यात्रा पूरी की। इस दौरान उन्होंने करीब 14 हजार किमी सफर तय किया। इसी के साथ एेसा करने वाले वे दुनिया के पहले व्यक्ति बन गए हैं। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, वे 12 मीटर लंबी सेलबोट से बिना रुके सफर करते रहे। वे सैनडिएगो के रहने वाले हैं। इवामोटो 24 फरवरी को अमेरिका के डग स्मिथ शहर से रवाना हुए थे। वे शनिवार सुबह फुकुशिमा के बंदरगाह पहुंचे। उनके साथ एक अमेरिकी नाविक भी मौजूद था, जो बाेलकर उन्हें हवा की दिशा व अन्य जानकारियां दे रहा था। छह साल पहले भी उन्होंने ऐसा करने की कोशिश की थी लेकिन नाकाम हाे गए थे। उनकी नाव एक व्हेल से टकराने के बाद क्षतिग्रस्त होकर डूब गई थी।

(Ref. – दैनिकभास्कर, हिन्दी, पेज – 13, 21/4/2019)

अब विद्या बालन का एक अनुभव बताता हूँ । ये अभिनेत्री है । आप जानते होंगे । ओशो मेडिटेशन रिजॉर्ट (पुणे) की अमृत साधना में विद्या बालन का एक अनुभव बताया है और एक ध्यान विधि है जिसे अपनाने से लाभ हो सकता है । उसके बारे में अमृत साधना में जो लिखा है वह पढ़ें –

अपने शरीर से प्रेम कीजिए

ओशो मेडिटेशन रिज़ाॅर्ट, पुणे
हाल ही में अभिनेत्री विद्या बालन का साक्षात्कार छपा है जिसमें उन्होंने कहा है कि वर्षों तक वे अपने शरीर को पसंद नहीं करती थीं। उन्हें फिल्मों में काम नहीं मिलता था तो वे सोचती कि काश मेरा शरीर और सुंदर होता तो लोग मुझे पसंद करते। वे जितना अपने शरीर से नफरत करती उतना उनका शरीर बेडौल और दुखी होने लगा। विद्या ने कहा, ‘जब मैं शरीर को स्वीकार करने की ध्यानपूर्ण यानी झेन स्थिति में आने लगी मेरी शरीर के साथ दुश्मनी समाप्त होने लगी। जैसे ही मैंने शरीर जैसा है उसे स्वीकार कर लिया, मैं प्रसन्न रहने लगी। यह प्रसन्नता स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।’
इसके लिए ओशो ने एक बहुत प्रभावशाली ध्यान विधि बनाई है जिसका नाम है: ‘शरीर से संवाद करने की एक भूली बिसरी भाषा का पुनर्स्मरण।’ इसमें आप लेटकर बहुत आराम के साथ अपने ही शरीर से बात करते हैं कि ‘हम तुम्हारे करीब आकर तुमसे मित्रता करना चाहते हैं। मैंने सोचा ही नहीं कि इतने वर्षों से मेरे लिए काम कर रहे हो और मैंने तुम्हें धन्यवाद तक नहीं दिया। क्या कुछ ऐसा है जो भविष्य में मैं तुम्हारे लिए कर सकूं?’ यह स्नेह भरा निवेदन और सच्चा भाव ही आपके शरीर को इतना रिलैक्स कर देता है जितनी कोई दवाई, कोई मसाज या थैरेपी नहीं कर सकती।
लर्निंग
अमृत साधना
हर कोई सोचता है काश मेरा शरीर और लंबा, गोरा और सुंदर होता। जो है उससे कोई भी संतुष्ट नहीं है…
हाल ही में अभिनेत्री विद्या बालन का साक्षात्कार छपा है जिसमें उन्होंने कहा है कि वर्षों तक वे अपने शरीर को पसंद नहीं करती थीं। उन्हें फिल्मों में काम नहीं मिलता था तो वे सोचती कि काश मेरा शरीर और सुंदर होता तो लोग मुझे पसंद करते। वे जितना अपने शरीर से नफरत करती उतना उनका शरीर बेडौल और दुखी होने लगा। विद्या ने कहा, ‘जब मैं शरीर को स्वीकार करने की ध्यानपूर्ण यानी झेन स्थिति में आने लगी मेरी शरीर के साथ दुश्मनी समाप्त होने लगी। जैसे ही मैंने शरीर जैसा है उसे स्वीकार कर लिया, मैं प्रसन्न रहने लगी। यह प्रसन्नता स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।’
इसके लिए ओशो ने एक बहुत प्रभावशाली ध्यान विधि बनाई है जिसका नाम है: ‘शरीर से संवाद करने की एक भूली बिसरी भाषा का पुनर्स्मरण।’ इसमें आप लेटकर बहुत आराम के साथ अपने ही शरीर से बात करते हैं कि ‘हम तुम्हारे करीब आकर तुमसे मित्रता करना चाहते हैं। मैंने सोचा ही नहीं कि इतने वर्षों से मेरे लिए काम कर रहे हो और मैंने तुम्हें धन्यवाद तक नहीं दिया। क्या कुछ ऐसा है जो भविष्य में मैं तुम्हारे लिए कर सकूं?’ यह स्नेह भरा निवेदन और सच्चा भाव ही आपके शरीर को इतना रिलैक्स कर देता है जितनी कोई दवाई, कोई मसाज या थैरेपी नहीं कर सकती।

(Ref. – दैनिकभास्कर, पेज – 11, 21/4/2019)

और एक बात खास बताता हूँ कि हम सभी को एक जागरूक उपभोक्ता बनना चाहिए । कई लोग पढ़े-लिखे होने के बावजूद भी उपभोक्ता के अधिकारों को प्राप्त नहीं करते । ऐसे में एन. रघुरामन ने दिनेश (चंडीगढ़) की घटना का जिक्र किया है । इसे पढ़कर हम समझ सकते हैं कि हमें जागरूक उपभोक्ता कैसे बनना चाहिए ।

कितने जागरुक उपभोक्ता हैं आप ?

जाहिर सी बात है कार खरीदना हर किसी की इच्छा होती है, लेकिन हममें से कितने लोग ऐसे हैं जो लोकल डीलर को अपनी ड्रीम कार के लिए लाखों रुपए चुकाने के बाद छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देते हैं? ये कहना सही होगा कि कार डीलर के लिए हर कार मालिक एक प्रचार सामग्री बन जाता है। क्या आपको मेरी बात समझने में मुश्किल हो रही है? यह प्रचार सामग्री वह स्टिकर होता है जो डीलर आपकी कार के पीछे लगा देता है और फिर आप इसे लगाकर जब शहर में घूमते हैं तो अनजाने में ही लोगों में यह प्रचार करते हैं कि आपने क्या खरीदा है और किससे खरीदा है!
इससे पहले कि हम कार वाले मुद्दे पर और बात करें, पहले मिलते हैं चंडीगढ़ के रहने वाले दिनेश प्रसाद रतूड़ी से और समझते हैं कि कैसे उन्होंने 399 रुपए से भी कम के प्रोडक्ट की खरीद को लेकर बाटा इंडिया लिमिटेड को एक सबक सिखाया।
इसी साल फरवरी में दिनेश ने चंडीगढ़ के सेक्टर 22डी के एक बाटा अाउटलेट से 399 रुपए के जूते खरीदे जिसके लिए उन्हें कुल 402 रुपए चुकाने पड़े। स्पष्ट है कि इसमें उस पेपर बैग के 3 रुपए भी जोड़े गए हैं जिसमें उन्हें नए जूते लेकर जाना था। मजबूरी में हो सकता है दिनेश से इस बैग के लिए अतिरिक्त पैसा चुकाया होगा, लेकिन अंतत: उन्हें महसूस हुआ कि जो कुछ हुआ वह सही नहीं है क्योंकि जब उन्होंने बैग देखा तो उस पर ब्रांड को एंडोर्स (प्रचार) करने वाले शब्द लिखे हुए थे और इसके लिए उन्होंने अतिरिक्त 3 रुपए भी चुकाए थे। बिलिंग काउंटर पर उन्होंने जोरदार ढंग से अपनी बात रखी कि, मैं पैसा चुकाकर पहले तो आपका बैग खरीदूं और फिर आपके ही बाटा ब्रांड का विज्ञापन करते हुए घर तक जाऊं! लेकिन, उनका तर्क अनसुना कर दिया गया और उन्हें बैग के पैसे चुकाने पड़े। हालांकि, इस घटना के बाद उन्होंने तय किया कि वे इस व्यवहार के आगे झुकेंगे नहीं। दिनेश ने चंडीगढ़ उपभोक्ता फोरम में सम्पर्क किया और अपने चुकाए 3 रुपए के साथ सेवा में कमी को लेकर हर्जाना मांगा। उनके इस तर्क को काटते हुए, बाटा इंडिया ने सेवा में किसी भी तरह की कमी होने से साफ इनकार किया। लेकिन उधर, फोरम का एक अलग ही नजरिया था। उसने कहा कि, एक उपभोक्ता को कागज के बैग के लिए पैसा चुकाने पर मजबूर करना सेवा में कमी है क्योंकि ये उस स्टोर की ड्यूटी है कि उपभोक्ता द्वारा उनके यहां से उत्पाद खरीदे जाने पर उसे मुफ्त बैग दिया जाए।
उपभोक्ता फोरम ने बाटा इंडिया को आदेश दिया कि आगे से उसे सभी उपभोक्ताओं को मुफ्त पेपर बैग देने होंगे। इसके अलावा इस बात पर भी जोर दिया गया कि यदि कम्पनी को वाकई फिक्र है तो, उसे अपने ग्राहकों को इको-फ्रेंडली बैग देने चाहिए। फोरम ने अपने फैसले में बाटा इंडिया कम्पनी को आदेश दिया कि वह बैग के बदले लिए गए 3 रुपए लौटाए और केस के खर्च के रूप में 1000 रुपए चुकाए। इसके अलावा सेवा में कमी के कारण प्रार्थी उपभोक्ता को हुई मानसिक पीड़ा के लिए 3000 रुपए क्षतिपूर्ति भी दे, साथ ही फोरम ने शू ब्रांड को राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के खाते में कानूनी सहायता के रूप में 5000 रुपए जमा कराने का भी आदेश दिया। कुल मिलाकर, बाटा इंडिया को कुल 9003 रुपए चुकाने पड़े क्योंकि कम्पनी ने पैसा चुकाकर उत्पाद खरीद रहे ग्राहक के उस तर्क को खारिज कर दिया था जिसमें उसने खुद को प्रचार माध्यम न बनाने की बात कही थी। ध्यान दीजिए, दिनेश ने सिर्फ 399 रुपए का प्रोडक्ट खरीदा था।
चंडीगढ़ उपभोक्ता फोरम का बाटा इंडिया को आड़े हाथ लेने का यह फैसला कुछ स्टोर्स के लिए जरूर आंखें खोलने वाला होगा जो अपने ग्राहकों से कैरी बैग के नाम पर 5 रुपए भी वसूलते हैं। अब अपनी मूल कहानी पर लौटते हैं। मैं जब भी नई कार खरीदता हूं, तो पूरी बातचीत हो जाने के बाद मेरी आखिरी शर्त यही होती है कि मैं अपनी कार के पीछे डीलर का स्टिकर नहीं लगाऊंगा और अगर वह राजी नहीं होता है, तो मैं उसके यहां से खरीदने से इंकार कर देता हूं। एक बार तो एक डीलर ने इसके बदले ऑफर दिया कि वह हर साल मुझे एक सर्विस मुफ्त में देगा, लेकिन मैंने उसे यह कहते हुए नकार दिया कि इससे मुझे कोई क्षतिपूर्ति नहीं मिलेगी क्योंकि मैं तो सालभर उसका स्टिकर लगाए घूमता रहूंगा।
फंडा यह है कि  स्मार्ट दिखने और होने में फर्क है, इसलिए अपने आसपास जो कुछ भी हो रहा है उससे सचेत रहें और कुछ भी गलत हो तो हिम्मत से मुकाबला करें और फिर अपने अजब से आइडिया को एक तर्कपूर्ण अंत तक जरूर पहुंचाएं।
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु raghu@dbcorp.in (Ref. – दैनिकभास्कर, पेज – 8, 21/4/2019)

और, अब एक अदालतों से जुड़ी अच्छी खबर है कि अदालतों में भी टेक्नोलॉजी का उपयोग होने लगा है और skype के जरिये कोर्ट में गवाही शुरू हो गई है ये अच्छी बात है । इससे समय, शक्ति व धन का बचाव होगा । बालेन्दु शर्मा दाधीच जो टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट हैं उन्होंने यह जानकारी दी है ।

    स्काइप के जरिए कोर्ट में गवाही…!

अ ब अदालतें भी तकनीक के प्रयोग की दिशा में अपेक्षाकृत उदार हो गई हैं। इसकी ताजा मिसाल मुंबई हाईकोर्ट का दिशा-निर्देश है, जो एक दिलचस्प मामले में सामने आया है। हाईकोर्ट ने विदेश में रहने वाले एक गवाह को अपने घर में ही कंप्यूटर पर बैठकर स्काइप के जरिए गवाही दर्ज करने की इजाजत दी है।
मामला यूजी कृष्णमूर्ति की वसीयत से जुड़ा है, जिन्होंने फिल्म निर्माता महेश भट्ट को साल 2005 में अपनी वसीयत का एग्जीक्यूटर (अमलकार) नियुक्त किया था। लेकिन स्व. कृष्णमूर्ति के पुत्र मार्क उप्पलुरी ने वसीयत की वैधता को चुनौती दी है। कृष्णमूर्ति की वसीयत में दो गवाहों के नाम भी दर्ज हैं जो विदेश में रहते हैं। अदालत ने साल 2017 में उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी गवाही दर्ज कराने की इजाजत दी थी। लेकिन उनमें से एक गवाह ने कहा कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बजाय स्काइप के जरिए वकीलों की जिरह और सवाल-जवाब का सामना करना चाहते हैं। उप्पलुरी ने इसके खिलाफ दलील दी कि स्काइप पर दी जाने वाली गवाही में गलती भी हो सकती है और किसी किस्म की धांधली या शरारत भी की जा सकती है। लेकिन दूसरे पक्ष ने कहा कि स्काइप एक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है और उसमें गलती की संभावना कतई नहीं है, दूसरे बहुत से देशों की अदालतें गवाही दर्ज करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रही हैं। मुंबई हाईकोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया और गवाह को स्काइप के जरिए अदालत की कार्रवाई में हिस्सा लेने की इजाजत दी।
गौरतलब है कि कुछ साल पहले ही एक आयरिश महिला से दुष्कर्म के मामले में पीड़िता ने अपने देश से ही स्काइप के जरिए बयान दर्ज करवाए थे। इसी बयान के आधार पर साल 2015 में कोलकाता की एक अदालत ने सुजोय मित्रा नामक अभियुक्त को सात साल की सजा सुनाई थी। स्काइप के जरिए बयान देने के खिलाफ अभियुक्त सुप्रीम कोर्ट तक गया, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी स्काइप के प्रयोग को उचित माना और इस तरह भारतीय अदालतें तकनीक के प्रयोग के मामले में एक कदम और आगे बढ़ गईं।
बात स्काइप भर की नहीं है। स्काइप जैसे ही दूसरे एप्स और उपकरणों पर भी यह बात लागू होती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का प्रयोग तो एकाध दशक से हो ही रहा है। लेकिन स्काइप जैसे एप्स का अदालत में दाखिला ज्यादा बड़ी घटना है, क्योंकि अगर सिलसिला आगे बढ़ता है तो यह कानूनी प्रक्रियाओं तक आम आदमी की पहुंच को सुगम बनाएगा। इससे तारीख पर तारीख के चक्कर में फंसे लोगों के लिए भी स्थितियां आसान हो जाएंगी। इनमें आर्थिक चुनौती से प्रभावित लोग भी हैं, सार्वजनिक रूप से सामने आने में असमर्थ महिलाएं भी हैं, गोपनीय ढंग से गवाही दर्ज कराने के इच्छुक लोग भी हैं और दिव्यांग भी हैं, जिनके लिए अदालत तक पहुंचने की प्रक्रिया बहुत मुश्किल होती है।
स्काइप के कॉल्स को हैक किए जाने की आशंका न्यूनतम है, क्योंकि यह माइक्रोसॉफ़्ट का बेहद जांचा-परखा और सुरक्षित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म है, जिसमें निजता और साइबर सुरक्षा की ठोस व्यवस्था है। फिर भी यदि अदालतें चाहें तो ऐसी गवाहियों के दौरान अतिरिक्त एहतियात बरत सकती हैं जैसा कि मुंबई हाईकोर्ट ने किया है। वहां स्काइप के जरिए गवाही के लिए अदालत के आयुक्त के जरिए बनाई जाने वाली डेडीकेटेड आईडी का प्रयोग ही किया जाएगा। कोर्ट यह इंतजाम गवाही को त्रुटिहीन और प्रामाणिक बनाने के लिए कर रहा है। इसी तरह, आयरिश युवती के मामले में भी अदालत ने कुछ खास एहतियात बरते थे, जैसे उसके बयान आयरलैंड में भारतीय दूतावास में रिकॉर्ड किए गए थे।
अदालतों के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की प्रक्रिया महज स्काइप तक सीमित नहीं रहेगी और रहनी भी नहीं चाहिए। कोर्ट कार्यवाही की प्रक्रिया, उसके दस्तावेजीकरण, संचालन, सुरक्षा और बहुत से दूसरे पहलुओं के संदर्भ में तकनीक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग आने वाले सालों में दिखाई देने वाला है। इससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि आम लागों की न्याय तक पहुंच भी सुगम हो सकेगी। चुनौतियां ज़रूर आएंगी, लेकिन हर चुनौती का जवाब ढूंढा जा सकता है।
साइंस एंड टेक
बालेन्दु शर्मा दाधीच
टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट

(Ref. – पेज – 3, दैनिकभास्कर, पूर्ति, रसरंग, 21/4/2019)

और अब अंत में, आज रविवार 21 अप्रैल है जिसे ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है । यीशु का पुनरागमन हुआ था जिसे पासखा कहते हैं । मैं विश्वभर के ईसाईयों को ईस्टर संडे की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ !

– नारायण साँई

( 21/4/2019)

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