वटसावित्री पूर्णिमा २०१९ संदेश…

ये पूनम है न, ये सोमवार दोपहर तक रहेगी और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत किया जाता है वटसावित्री पूर्णिमा का । ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णिमा सौभाग्यवती स्त्रियाँ पति की दीर्घायु के लिए उपवास रखती है । गुजरात में महिलाएँ सामान्यरूप से एकाध फल ग्रहण करके पूरे दिन का उपवास करती है । उत्तर भारतीय समुदाय में करवा चौथ का जो महत्व है वैसा ही महत्व गुजरात की महिलाओं के लिए ये वटसावित्री व्रत का है । वटवृक्ष की पूजा, अर्चना के दृश्य वटसावित्री पूनम के कई जगह देखने को मिलते हैं । सुबह पतिदेव की पूजा, अर्चना करने के बाद वटवृक्ष की पूजा करने का महत्व है । ये वाली जो पूर्णिमा है सोमवार दोपहर में 2 बजकर 1 मिनट तक रहेगी और वटसावित्री के दिन मतलब रविवार को दोपहर में 2 बजकर 2 मिनट तक चौदस है और फिर दोपहर में 2 बजकर 2 मिनट से लेकर सूर्यास्त तक कुछ समय में सूर्यास्त से 6 घड़ी पहले का समय पूनम का होने से पूनम के व्रत की और पूनम वटसावित्री व्रत की पूजा करने से लाभ है । लोक मान्यता के अनुसार माता सावित्री ने यमराज के फंदे में से अपने पति के प्राण की रक्षा की । फिर यमराज जब सत्यवान के प्राण ले जाने लगे तब माता सावित्री उनके पीछे-पीछे गई । सावित्री की जिद्द को देखकर यमराज ने उनसे वरदान मांगने को कहा । उस दौरान सावित्री ने सौ पुत्र हो ऐसा वरदान माँगा । यमराज ने वरदान तो दे दिया लेकिन बाद में सावित्री ने खुद पत्निव्रता होने का कहकर पति के बिना पुत्र कैसे प्राप्त करूँगी ये प्रश्न है ? अंत में यमराज को अपनी गलती समझ में आयी और सत्यवान के प्राण वापस देने पड़े । सावित्री ने अपने पति के प्राण वापस लाने के लिए यमराज के पीछे-पीछे जा रहे थे तब पति का शव वटवृक्ष के पास रखकर वटवृक्ष को उसकी रक्षा करने को कहा । वहाँ से वापस आने के बाद सावित्री ने सोलह श्रृंगार करके वटवृक्ष की पूजा की । उस दिन से वटवृक्ष की पूजा करके प्रदक्षिणा करने की परंपरा चली आ रही हैं ।

– नारायण साँईं

Comments (2)
Ujwala Patil
June 16, 2019 7:05 pm

Thanks for information

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Ujwala Patil
June 16, 2019 7:05 pm

Thanks for information
Satymev Jayate

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