ओज-तेज से परिपूर्ण, प्रेरित और उत्साहित करने वाला दिव्य संदेश !

ओज-तेज से परिपूर्ण, प्रेरित और उत्साहित करने वाला दिव्य संदेश !

ओजस्वी अध्यात्म वेदन्तिक जीवन शैली के प्रणेता – श्री नारायण साँईं जी द्वारा ओज-तेज से परिपूर्ण, प्रेरित और उत्साहित करने वाला दिव्य संदेश ! आज मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती और तुलसी पूजन दिवस के उपलक्ष्य में …

मेरे प्रिय साधक भक्तजनों, मेरे स्नेही हितेशी दोस्तों हम अपनाअपना हृदय टटोलें और ग़ौर से झाँकेंगे भीतर तो ये दिखेगा निराशा के गहन अंधकार में आशा का नन्हा साथी अब भी चल रहा है। स्नेह की बाती को थोड़ा सा और ऊपर कर लें तो और अधिक प्रकाश फैल जाएगा और तब उस आलोक में नहाते हुए मन गा उठेगा हमारा, हम फिर से चहकेंगें चिड़ियों के तरह, हम फिरसे नाचेंगे मयूर और नटराज की तरह, बाहें खोले दौड़ेंगे, कूदेंगे, उछलेंगें, मधुर नाम से थिरकेंगे, झूमेंगे, आनंद मनाएँगे स्नेहप्रेम का झरना फिरसे बहायेंगे और दुनिया में फैलेंगे यात्रा जारी रहेगी हमारी, गंगोत्री से गंगा सागर तक बहती गंगा सरिता की तरह, उत्सव कि तरह जीवन फिर हम जियेंगे मेरे प्रिय मित्रों आइये अब हम संकल्प करें की कैसे भी विचलित करने वाली परिस्थितियाँ आएँ, हमारे मन की शक्ति, हमारा अंदरूनी हौसला हरगिज़ भी कमज़ोर ना होने पाए। हमें ख़याल रखना होगा की हमारे मन की एकाग्रता और हृदय की तन्मयता टूटे नहीं आशाउम्मीद का ये नन्हा सा दिया, कभी भी हमारे हृदय में बुझने पाए श्रीमती महादेवी वर्मा की ये प्रसिद्ध पंक्तियाँ याद रहे की

मधुरमधुर मेरे दीपक जल !

युगयुग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल

प्रियतम का पथ आलोकित कर !

मधुरमधुर मेरे दीपक जल !

मधुरमधुर मेरे दीपक जल !

तो ये आशाउम्मीद का दीपक सदैव जलाये रखें

स्नेह बाती को थोड़ा और ऊपर, जी हाँ, थोड़ा और ऊपर करते रहें और हृदय को ज्ञान के, प्रेम के प्रकाश से प्रकाशित करते रहें

Leave comments

Your email is safe with us.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.